राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हर साल लाखों की संख्या में युवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते है। बीते दिनों दिल्ली में एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने के चलते तीन छात्रों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इससे पहले एक छात्र की करंट लगने से मौत हो गई, तो एक छात्रा ने मकान मालिक की वसूली से तंग आकर जान दे दी। इन घटनाओं के बाद बड़ी संख्या में युवा छात्र दिल्ली की सड़कों पर उतर आए और कार्रवाई की मांग करने लगे।
इसी बीच दिल्ली के कई इलाकों में चल रहे कोचिंग सेंटरों की तफ्तीश के बाद उन्हें सील कर दिया है। इन कोचिंग सेंटर में कई नामी कोचिंग सेंटर्स भी शामिल हैं। दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र में हुई दुखद घटना के बाद शिक्षक विकास दिव्यकीर्ति और अवध ओझा ने चुप्पी साध ली थी, जिसके बाद छात्र उनसे नाराज नजर आये। अब इन लोकप्रिय शिक्षकों के खिलाफ छात्र आवाज भी उठा रहे है।
यूपीएससी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवा सड़कों पर न्याय माँग रहे हैं। इसी बीच नवयुग टीवी नाम के यू-ट्यूब चैनल का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें एक छात्रा ने अवध ओझा को गुंडा करार दिया। यही नहीं, छात्रा ने कहा, कि वो कहने को इतिहास पढ़ाते हैं, लेकिन करते हैं सिर्फ प्रवचन, उनका सिलेबस तक पूरा नहीं है।
यू-टूयूब चैनल से बात करते हुए छात्रा ने दावा किया, कि वो अवध ओझा से पढ़ चुकी है, लेकिन अवध ओझा क्लास में कच्छा पहनकर ही आ जाता है। छात्रा ने कहा, कि जब उसने इस पर आपत्ति की, तो बस, मुस्कराकर टाल दिया गया।
अवध ओझा कच्छे में आता था क्लास में और सिर्फ सेक्स की बातें करता है”#Ojha #UPSCaspirants #DelhiCoaching pic.twitter.com/7NrB53KDY5
— Yati Sharma (@yati_Official1) August 4, 2024
प्रदर्शन कर रहे एक छात्र ने कहा, कि यू-ट्यूब वाले वायरल करने के लिए पैसे लेते है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल टीचर्स का पढ़ाई में योगदान शून्य होता है। उन्हें देखकर देश के कोने-कोने से बच्चे दिल्ली आ रहे हैं और ओल्ड राजेंद्र नगर जैसी जगहों पर फंस जाते हैं। यहाँ बच्चों को सिर्फ कमोडिटी समझा जाता है। कोई जिम्मेदारी लेने वाला नहीं है।
वहीं एक अन्य छात्र ने कहा, “बच्चे यू-ट्यूब वालों के चक्कर में यहाँ आ जाते हैं। फिर उनसे उगाही शुरू हो जाती है। रूम रेंट वाला दलाल एक महीने का किराया लेता है। 15-20 हजार रुपए महीने के लगते हैं। 1500 रुपए माह की लाइब्रेरी हादसे के बाद 5000-6000 रुपए में कर दी गई है। 10 हजार से ज्यादा खाने-पीने में चला जाता है। हर महीने 35-40 हजार रुपए माँ-बाप अपनी प्रॉपर्टी बेचकर बर्बाद कर रहे है।”
प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है, कि विकास दिव्यकीर्ति हों या अवध ओझा, इन्हें छात्रों से मुलाकात करके उनकी समस्याओं को सुनना चाहिए,उन्हें तो तीन दिन तक यही नहीं पता चला, कि असल में हुआ क्या है। वहीं कुछ छात्रों ने दावा किया है, कि कुछ बदलने वाला नहीं है। यहाँ छात्रों से हर कोई सिर्फ पैसे लूटना चाहता है। जिंदगी की कोई कीमत ही नहीं है।