भारतीय पहलवान अमन सहरावत ने वो कारनामा कर दिखाया, जो अभी तक ओलंपिक के इतिहास में नजर नहीं आया था। भारत के युवा रेसलर अमन ने पेरिस ओलंपिक में भारत को छठावां मेडल दिलाया और 57 किलोग्राम कुश्ती में कांस्य पदक अपने नाम किया है। उन्होंने एकतरफा मुकाबला जीतते हुए 57 किलो फ्रीस्टाइल वर्ग के मुकाबले में पुएर्तो रिको के डारियन तोइ क्रूज को 13 -5 से हराया।
पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के नाम एक और उपलब्धि हासिल करने वाले अमन ने इस सफलता को अपने दिवंगत माता-पिता को समर्पित किया है। बता दें, कि अमन के माता-पिता का उनके बचपन में ही निधन हो गया था। सहरावत का पालन-पोषण उनके दादा-दादी ने की है। जीत के बाद अमन सहरावत ने कहा, “मैं इस मेडल को अपने माता-पिता और देशवासियों को समर्पित करना चाहता हूँ।”
अपनी रणनीति के विषय में बताते हुए अमन ने कहा, “मैं इस मैच में यह सोचकर उतरा था, कि शुरू से विपक्षी पर दबाव बनाना है और उसमें मैं कामयाब रहा।” सेमीफाइनल में अमन सहरावत जापान के रेइ हिगुची से 0-10 से हार गए थे। अमन सहरावत ने ट्रायल्स में रवि दहिया को हराकर पेरिस ओलंपिक में एंट्री मारी थी। रवि ने इसी कैटेगरी में ओलंपिक में रजत पदक जीता था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सेमीफाइनल मुकाबला हारने के बाद अमन सहरावत का वजन 4.6 किलोग्राम बढ़ गया था। उन्होंने अपने कोच के साथ मिलकर इस वजन को सिर्फ 10 घंटे के अंदर कम किया। बताया जा रहा है, कि अंतिम मुकाबले की पहली रात वो सो नहीं पाए और अपने वजन को कम करने की कोशिशों में जुटे रहे। ट्रेड मिल से लेकर उन्होंने हर वो प्रयास किया, जिससे उनका वजन कम हो जाए और आखिरकार उन्होंने ये कर दिखाया।
🚨 Aman Sehrawat was 4.5 KG more after his Semi Final bout in 57 Kg category.
He lost 4.6 KGs in 10 hours to win medal at Paris Olympics.
He didn't sleep whole night & ran non stop to reduce the weight.
By next morning, he with his coaches Jagmander Singh & Virender Dahiya… pic.twitter.com/hs2471IY4d
— Times Algebra (@TimesAlgebraIND) August 10, 2024
बता दें, कि अमन सहरावत हरियाणा के झज्जर जिले के बीरोहार के निवासी है। साल 2012 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में सुशील कुमार को मिले रजत पदक से प्रेरणा लेते हुए अमन ने 10 वर्ष की अल्प आयु में उत्तरी दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में कुश्ती के गुर सीखने के लिए दाखिला लिया।
युवा रेसलर अमन जब 11 साल के थे, तब उनके माता-पिता इस दुनिया से चल बसे। यह दौर उनके लिए बेहद संघर्षपूर्ण भरा रहा। हालाँकि, उनके दादा-दादी ने उनका हौसला बढ़ाया। इसके बाद अमन सहरावत अपने सपने को पूरा करने के लिए जी-जान से जुट गए और आखिरकार आज उन्होंने उस मुकाम को हासिल कर लिया है, जिसके लिए उन्होंने कुश्ती के अखाड़े में कठिन परिश्रम किया था।
बता दें, कि अमन सेहरावत ने साल 2021 में अपना पहला राष्ट्रीय चैम्पियनशिप का खिताब जीता था। साल 2022 में अंडर-23 एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर अंडर-23 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय पहलवान बन गए। उन्होंने 2022 के एशियाई खेलों में 57 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता। वहीं अप्रैल 2023 में अमन अस्ताना में 2023 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
साथ ही अमन सेहरावत ने जनवरी 2024 में जाग्रेब ओपन कुश्ती टूर्नामेंट में पुरुषों की 57 किलोग्राम प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। सहरावत ने इस्तांबुल में 2024 विश्व कुश्ती ओलंपिक योग्यता टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था और पेरिस में 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए भारत को कोटा स्थान दिलाया। बता दें, कि पेरिस ओलंपिक्स 2024 में भारत के खाते में छठा मेडल आ गया है। भारत को अभी तक एक रजत और पाँच कांस्य पदक मिल चुके हैं।