भारतीय वैज्ञानिक अंतरिक्ष में स्वदेशी स्पेस स्टेशन स्थापित करने की दिशा में तेजी से कार्य कर रहे है। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा, तो भारत 2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करेगा। वहीं, 2040 तक चंद्रमा पर मानव उतारकर इतिहास रचेगा।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने रविवार को 2025 की दूसरी छमाही तक एक भारतीय एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में भेजने और 2040 तक चंद्रमा पर पहला भारतीय उतारने की महत्वाकांक्षी योजना की जानकारी साँझा की।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन – 2035 तक स्थापित और शुरू होने की संभावना है। उन्होंने कहा, कि “2023 में, हमने 1,000 करोड़ रुपये का निवेश देखा। अनुमान है कि अगले 10 वर्षों में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था पाँच गुना या लगभग 44 बिलियन डॉलर बढ़ेगी।” इससे विदेश जाने वाली प्रतिभाओं के पलायन के रुकने की भी उम्मीद है।
राज्य मंत्री ने बताया, कि गगनयान अगले साल अंतरिक्ष की उड़ान भरेगा, क्योंकि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन में विलंब हो गया है। इसके साथ ही भारत रोबोट उड़ानें भेजने का भी लक्ष्य बना रहा है। साल 2025 में एक महिला रोबोट, वायुमित्रा को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। यह रोबोट एक अंतरिक्ष यात्री की सभी गतिविधियां करेगा और धरती पर वापस लौटेगा।
गौरतलब है, कि 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने बताया, कि देश के नागरिकों ने साल 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने के लिए सुझाव दिए। इन सुझावों में लोगों ने कहा है, कि भारत का स्पेस स्टेशन जल्द से जल्द बनना चाहिए।
बता दें, कि स्पेस स्टेशन ऐसे स्थान को कहा जाता है, जिसे अंतरिक्ष में स्थाई तौर पर स्थापित किया जाता है। जिसका इस्तेमाल अंतरिक्ष यात्री खगोलीय घटनाओं के अध्ययन के लिए करते है। अंतरिक्ष स्टेशन को उसके आकार और वजन के अनुसार कई भागों में स्पेस में भेजा जाता है। इन हिस्सों को मॉड्यूल कहा जाता है। इन हिस्सों को डॉकिंग तकनीक से आपस में जोड़ा जाता है। स्पेस स्टेशन की स्थापना धरती के लो आर्बिट में की जाती है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन में सामान्य तौर पर तीन से चार एस्ट्रोनॉट्स रहेंगे, लेकिन जरूरत पड़ने पर इसकी क्षमता अधिकतम 6 एस्ट्रोनॉट्स की है। पहले इसका वजन 25 टन था और इसमें मात्र 3 एस्ट्रोनॉट्स रह सकते थे, वो भी सिर्फ 15 से 20 दिनों के लिए, लेकिन नए डिजाइन में स्पेस स्टेशन को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से भी बेहतर बनाया जा रहा। इसरो की योजना है, कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन 2035 से शुरू हो जाए।