पति-पत्नी के बीच पैसों को लेकर अक्सर तकरार होती रहती है और कई बार मामला कोर्ट तक भी पहुंच जाता है। इसी क्रम में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला अपने पति से छह लाख रुपये से भी ज्यादा की मांग कर रही है। गौरतलब है, कि पत्नी ये रकम हर महीने के हिसाब से मांग रही है। दरअसल, एक कोर्ट की सुनवाई का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में एक महिला का वकील उसके पति से 6 लाख रुपये मासिक गुजारा भत्ता दिलाने के लिए दलीलें दे रहे है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कर्नाटक में एक महिला ने अपने पति से भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह 6 लाख से अधिक रुपयों की डिमांड की है। महिला के वकील ने कोर्ट को बताया, कि पति से अलग रह रही महिला को जूते, कपड़े, चूड़ियां आदि के लिए 15,000 रुपये प्रति माह और घर में खाने के लिए 60,000 रुपये प्रत्येक महीने की जरूरत है। महिला के वकील ने न्यायालय को बताया, कि उसे घुटने के दर्द और फिजियोथेरेपी और अन्य दवाओं के इलाज के लिए 4-5 लाख रुपये की जरूरत है।
हाई कोर्ट ने महिला का पक्ष रख रहे वकील की दलीलों पर सख्त ऐतराज जताते हुए कहा, कि यदि महिला अपने ऊपर वास्तव में इतना खर्च करना चाहती है, तो उसे खुद कमाना चाहिए। अदालत ने कहा, कि उसे ना तो अपने बच्चों को पालना है और ना ही उस पर कोई दायित्व है, फिर खर्च के लिए इतने पैसों की माँग उचित नहीं है।
कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति ललिता कन्नेगांती की अदालत ने 21 अगस्त 2024 को इस मामले की सुनवाई के दौरान महिला को अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने को लेकर भी चेतावनी दी। कोर्ट ने कहा, कि वह इस मामले का उपयोग उन सभी वादियों को सख्त और स्पष्ट संदेश देने के लिए करेंगी, जो सोचते हैं कि वे कानून का दुरुपयोग कर सकते है।
महिला न्यायाधीश ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “वह खर्च के रूप में 6,16,300 रुपए चाहती है? वह भी प्रत्येक महीने? उसे सिर्फ उसके पति की आय के आधार पर भरण-पोषण नहीं दिया जाएगा। उसकी आवश्यकताएँ क्या-क्या हैं? पति की कमाई 10 करोड़ रुपए होगी, तो क्या कोर्ट उसे भरण-पोषण के रूप में 5 करोड़ रुपए देगा? एक अकेली महिला खुद पर हर महीने इतना खर्च करेगी? अगर वह खर्च करना चाहती है, तो वह स्वयं कमाए।”
महिला ने गुजारा भत्ता के रूप में मांगा 6 लाख 16 हजार रुपये प्रति महीना।
थेरेपी के लिए 5 लाख, जूते और ड्रेस के लिए 15 हजार, खाना के लिए 60 हजार।
महिला जज ने कहा, खुद कमाओ और जितना मन करे खर्च करो। pic.twitter.com/IzIswV1FQk
— Panchjanya (@epanchjanya) August 21, 2024
दरअसल, हाई कोर्ट एक महिला द्वारा दायर भरण-पोषण की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में निचली अदालत द्वारा महिला को दिए गए भरण-पोषण भत्ते में बढ़ोतरी की डिमांड की गई थी। पारिवारिक न्यायालय ने महिला को 50,000 रुपए मासिक भरण-पोषण भत्ता दिए जाने के निर्देश दिए थे। महिला ने हाई कोर्ट में दावा किया है, कि उसका मासिक खर्च 6 लाख रुपए से अधिक है, इसलिए उसे यह धनराशि उसके पति द्वारा दिलवाई जाए।
महिला का कोर्ट में पक्ष रखने वाले वकील आकाश कनाडे ने अदालत में तर्क दिया, कि याचिकाकर्ता महिला को पौष्टिक भोजन की सख्त आवश्यकता है। उसे बाहर का खाना खाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उसके खाने का खर्च ही प्रत्येक महीने 40,000 रुपए है। वकील ने कहा, कि महिला से अलग रह रहा पति हर दिन अलग-अलग ब्रांडेड कपड़े पहनता है। उसके टी-शर्ट की कीमत 10,000 रुपए है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, महिला के वकील ने अदालत ने यह भी जानकारी दी, कि याचिकाकर्ता महिला को पुराने कपड़े एवं ड्रेस पहनने के लिए मजबूर किया गया। इस प्रकार उसे कपड़ों और सामान के लिए 50,000 रुपए हर महीने की जरूरत है। इसके साथ ही उसके चिकित्सा एवं कॉस्मेटिक प्रोडक्ट के लिए 60,000 रुपए की जरुरत है।
इन दलीलों पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए न्यायाधीश कन्नेगांती ने कहा, कि न्यायालय कोई बाजार नहीं है, जहाँ मुकदमेबाज तोल-मोल करने आएँ। कोर्ट ने कहा, “आपका मुवक्किल समझ नहीं रही है, लेकिन आपको उसे समझना चाहिए। यह मोल-तोल करने की जगह नहीं है। आप उसके वास्तविक खर्चों के बारे में अदालत को बताइए। हम आपको एक आखिरी मौका देंगे, अन्यथा इसे हम खारिज कर देंगे।”
वहीं, महिला के पति की ओर से पेश वकील आदिनाथ नारदे ने कोर्ट को बताया, कि महिला के बैंक स्टेटमेंट के अनुसार उसके पास शेयरों में 63 लाख रुपए निवेश है। हालाँकि, बाद में याचिकाकर्ता महिला के वकील ने कहा, कि भरण-पोषण का दावा उसका वास्तविक व्यय नहीं, बल्कि अनुमानित व्यय है। तमाम दलीलों को सुनने के बाद जज ने तर्कसंगत व्यय को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है।