‘एक देश-एक चुनाव’ (O.N.O.E) को लेकर मोदी कैबिनेट ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समितियों की सिफारिशें को स्वीकार कर लिया है। देश में एक साथ विधानसभा-लोकसभा चुनाव करवाने की तरफ बढ़ाए गए इस ऐतिहासिक कदम को लेकर अब शीतकालीन सत्र में बिल पेश किया जा सकता है। इसके बाद देश में ‘एक देश, एक चुनाव’ प्रक्रिया को लेकर सस्पेंस दूर हो गया है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार (18 सितम्बर, 2024) को हुई कैबिनेट बैठक में रिपोर्ट के आधार पर ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को अनुमति दी गई। केंद्रीय कैबिनेट के इस निर्णय को लेकर रेल और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया, कि सरकार दो चरण में एक देश एक चुनाव को लागू करना चाहती है।
#WATCH | Union Cabinet has accepted the recommendations by the high-level committee on 'One Nation, One Election', announces Union Minister Ashwini Vaishnaw.
(Video source: PIB/ YouTube) pic.twitter.com/NnE99wNDer
— ANI (@ANI) September 18, 2024
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए बताया, कि कमिटी की सिफारिशों पर देश की सभी मंचों पर इस पर चर्चा की जाएगी। सभी नौजवानों, कारोबारियों, पत्रकारों समेत सभी संगठनों से इस पर बात होगी। इसके बाद इसे लागू करने के लिए ग्रुप बनाया जाएगा, फिर कानूनी प्रक्रिया पूरी कर इसे लागू किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, “1951 से 1967 के बीच एकसाथ चुनाव होते थे। 1999 में विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ हों, इससे विकास होता रहे और खर्च कम हो तथा साथ ही जो पुलिस और कानून व्यवस्था की समस्या होती है वह नहीं हो।”
वहीं ‘एक देश-एक चुनाव को केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूरी मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र पीएम मोदी ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा- ये हमारे लोकतंत्र को अधिक जीवंत, सहभागी बनाने की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है।
The Cabinet has accepted the recommendations of the High-Level Committee on Simultaneous Elections. I compliment our former President, Shri Ram Nath Kovind Ji for spearheading this effort and consulting a wide range of stakeholders.
This is an important step towards making our…
— Narendra Modi (@narendramodi) September 18, 2024
बता दें, कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर 2 सितंबर, 2023 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था। वहीं कांग्रेस, आप पार्टी समेत अन्य विपक्षी दलों ने कैबिनेट के इस प्रस्ताव का विरोध किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, कि वह कैबिनेट के इस फैसले को नहीं मानते हैं और लोकतंत्र में यह नहीं चलेगा। उन्होंने कहा, कि लोकतंत्र को चलाने के लिए जब चाहिए तब चुनाव करवाना पड़ेगा।
गौरतलब है, कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ व्यवस्था भारत के लिए नई नहीं है। स्वंत्रता प्राप्ति के बाद राष्ट्र में 1952 से लेकर 1957, 1962 और 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हुए थे। हालांकि 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं निर्धारित वक्त से पहले भंग कर दी गई थी। 1970 में लोकसभा भी समय से पहले भंग कर दी गई थी। इसके चलते एक देश एक चुनाव की व्यवस्था पटरी से उतर गई थी।