आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। लैब रिपोर्ट में मछली का तेल और पशु की चर्बी की प्रयोगशाला की रिपोर्ट में पुष्टि होने पर संत समाज में उबाल देखने को मिला। रिपोर्ट के अनुसार, जो प्रसाद भगवान वेंकटेश्वर को चढ़ता था, उसमें पिछले कुछ समय से जानवर की चर्बी वाला घी का उपयोग होता था। जाँच रिपोर्ट यह भी सामने आ आया, कि घी में मछली का तेल, गोमांस और सूअर की चर्बी डाली हुई थी।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए मंदिर के पूर्व मुख्य पुजारी रमना दीक्षितुलु ने कहा, “प्रसाद बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले गाय के घी में बहुत सारी अशुद्धियाँ थीं और यह घटिया क्वालिटी का था। मैंने कई साल पहले इस पर ध्यान दिया था। मैंने इसे संबंधित अधिकारियों और ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष के सामने रखा था। लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की।”
#WATCH | Tirupati, Andhra Pradesh: On Tirupati Prasadam row, former priest of Tirumala temple, Ramana Deekshitulu says, "…The cow ghee used for making prasad had a lot of impurities and was of poor quality. I noticed this many years ago. I put it before the concerned… pic.twitter.com/ql0OWADLMG
— ANI (@ANI) September 20, 2024
उन्होंने कहा – “पहले ये मेरे लिए अकेले की लड़ाई थी, लेकिन अब, नई सरकार ने सत्ता संभाली है और उसने सारी अशुद्धियाँ साफ करने का वादा किया है। उन्होंने पहले ही सरकारी डेयरियों से शुद्ध गाय का घी खरीद लिया है और वे अब शुद्ध घी से खाद्य सामग्री तैयार कर रहे हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस तरह के महान पाप मंदिर में न दोहराए जाएँ, जो एक पवित्र मंदिर है जिसमें करोड़ों भक्तों की गहरी आस्था और भक्ति है।”
वहीं निरंजनी पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ने कहा, कि भारतीय परंपरा के करीब 90 करोड़ लोग बालाजी में विश्वास रखते हैं। इस मंदिर में यदि इस तरह का कुचक्र रचा गया तो इसमें केवल देश के षडयंत्रकारी ही नहीं विदेशी और आतंकवाद की गतिविधियों में संल्पित लोगों का हाथ है। उन्होंने कहा कि अयोध्या, काशी, मथुरा के अलावा शिरडी मंदिर जैसे विशालतम स्थान से भी प्रसाद का सैंपल लिया जाना चाहिए।
तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट की खबर सामने आने के बाद सियासी माहौल गर्माता नजर आ रहा है। इस खबर को सुनकर हर कोई सन्न है। बता दें, कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को आरोप लगाया था, कि पिछली वाईएसआरसीपी सरकार ने पवित्र मिठाई तिरुपति लड्डू बनाने में घटिया सामग्री और पशु चर्बी का इस्तेमाल किया था। विपक्षी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने इस आरोप का जोरदार खंडन किया है।
मुख्यमंत्री नायडू ने बीते गुरुवार को इस मामले में बताया था, कि सरकार के संज्ञान में मामला आने के बाद मंदिर में शुद्ध घी की व्यवस्था की गई है। वहीं डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने इस मामले में ट्वीट पर लिखा- “पिछली सरकार के कार्यकाल दौरान, तिरुपति बालाजी प्रसाद में पशु मेद (मछली का तेल, सूअर की चर्बी और बीफ वसा) मिलाए जाने की बात के संज्ञान में आने से हम सभी अत्यंत विक्षुब्ध है।
पिछली सरकार के कार्यकाल दौरान, तिरुपति बालाजी प्रसाद में पशु मेद (मछली का तेल, सूअर की चर्बी और बीफ़ वसा) मिलाए जाने की बात के संज्ञान में आने से हम सभी अत्यंत विक्षुब्ध हैं। तत्कालीन वाईसीपी (YCP) सरकार द्वारा गठित टीटीडी (TTD) बोर्ड को कई सवालों के जवाब देने होंगे! इस सन्दर्भ… https://t.co/SA4DCPZDHy
— Pawan Kalyan (@PawanKalyan) September 20, 2024
बता दें, कि आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति के पास तिरुमला पहाड़ियों पर विराजमान भगवान वेंकटेश्वर के मंदिर में तिरुपति बालाजी के रूप में भगवान विष्णु की पूजा होती है। मंदिर की तरह ही तिरुपति बालाजी के प्रसाद की भी दुनिया भर में ख्याति है। इस मंदिर में प्रसाद के तौर पर खास तरह का लड्डू चढ़ाया जाता है। आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में प्रसाद की पवित्रता के साथ हुई छेड़छाड़ का मामला अब पूरे देश में चर्चा का कारण बना हुआ है।