राज्य में अब जेल से पैरोल पर छूटे कैदियों पर निगरानी रखने के लिए उन पर ट्रैकिंग डिवाइस लगाया जायेगा। जेल प्रशासन ने फैसला लिया है, कि जेल से बाहर आए कैदियों पर जीपीएस युक्त ट्रेकिंग डिवाइस लगाई जाएगी, जिसके तहत कैदियों की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी। इसी क्रम में जेल विभाग कैदियों के हाथों व पांव पर लगाने के लिए जीपीएस युक्त डिवाइस खरीदने की तैयारी कर रहा है।
प्रदेश सरकार द्वारा लागू नए कारागार एवं सुधार सेवा एक्ट के अनुसार, कैदियों पर विशेष तरीके और आधुनिक उपकरणों से निगरानी रखी जाएगी। वैश्विक महामारी कोरोना के कालखंड में जेलों में बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर गृह विभाग ने कई कैदियों को पैरोल पर छोड़ा था, लेकिन पैरोल खत्म होने पर कई कैदी वापस जेल नहीं लौटे। इसके साथ ही जेल प्रशासन और पुलिस के पास इन कैदियों के ठिकानों के बारे में भी कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं थी।
हालाँकि बेहद खोजबीन और कड़ी मशक्कत के बाद इन्हें वापस दबोचा गया। ऐसे में इन कैदियों के पैरोल के दौरान बाहर रहने पर निगरानी रखने के लिए पुख्ता व्यवस्था की जा रही है। इस व्यवस्था के लिए जेल प्रशासन विभाग ने जीपीएस युक्त इन डिवाइस को खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सचिव गृह शैलेश बगोली ने बताया, कि कारागार एक्ट में इसका प्राविधान किया गया है। अब इसे लागू करने के लिए व्यवस्था बनाई जा रही है।
नए कारागार एक्ट के अनुसार, नई व्यवस्था से पैरोल अथवा कारागार अवकाश की अवधि के दौरान कैदी हर क्षण जेल प्रशासन की नजर में रहेंगे। एक्ट के अनुसार, कैदियों की गतिविधियों पर निगरानी के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग डिवाइस पहनने की शर्त पर ही जेल से तय वक्त के लिए पैरोल पर छोड़ा जाएगा। कैदियों द्वारा इस प्रक्रिया का किसी भी प्रकार से उल्लंघन करने पर कैदियों को भविष्य में किसी भी तरह के कारागार अवकाश के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उत्तराखंड की जेलों में बंद कैदियों के लिए एक आदेश जारी किया था। इसके तहत जिन कैदियों ने अपने केस की अधिकतम सजा की एक तिहाई अवधि जेल में बिता ली है, उन्हें तत्काल जमानत पर रिहा करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन शर्त ये थी, कि वो कैदी किसी अपराध में विचाराधीन न हों, जिसमें आजीवन कैद या मौत की सजा का प्राविधान हो।