मध्य यूरोपीय देश स्विट्जरलैंड में सुसाइड कैप्सूल के जरिये मौत का मामला सामने आने के बाद पुलिस विभाग सक्रिय हो गया है। बताया जा रहा है, कि कैप्सूल को एक जंगल में फिट किया गया है, जहां पहुंचकर लोग दर्दरहित आत्महत्या कर रहे है। हाल ही में एक महिला ने ‘सुसाइड पॉड’ मशीन के जरिये खुद की जीवनलीला समाप्त कर ली। इसी बीच अब इस देश में इच्छा-मृत्यु को लेकर बहस शुरू हो गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, स्विटजरलैंड में हाल ही में एक 64 वर्षीय अमेरिकी महिला ने ‘लास्ट रिजॉर्ट’ नाम की एक कंपनी द्वारा निर्मित एक मशीन का उपयोग खुद के प्राण लेने के लिए किया है। इसे कंपनी ने ‘सुसाइड पॉड’ का नाम दिया है। महिला की मौत के कुछ दिनों बाद पुलिस ने 4 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है।
गिरफ्तार किए गए लोगों में कैप्सूल निर्माता कंपनी की एक महिला अधिकारी समेत 2 पत्रकार शामिल है। रिपोर्ट्स के अनुसार, महिला ने मशीन के माध्यम से यह आत्महत्या स्विटजरलैंड के दूरदराज के एक इलाके के पास स्थित जंगल में की है। वहीं कैप्सूल बनाने वाली कंपनी ने दावा किया है, कि महिला ऐसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित थी, जो असाध्य थी। ऐसे में महिला ने अपना जीवन समाप्त करने का मार्ग चुना और उसने इस मशीन का उपयोग किया।
गौरतलब है, कि इससे पहले भी लोगों की वैध तरीके से आत्महत्या के लिए दवाइयों का उपयोग होता रहा है। इसके लिए उन्हें ऐसी दवाइयाँ दी जाती हैं, जो मृत्यु देती हैं। मशीन का इस्तेमाल होने के बाद इसकी वैधता और तौर तरीके पर बहस चालू हो गई है। मशीन को बनाने वाली कंपनी ‘सारको’ का कहना है, कि यह मशीन उन लोगों के काम आएगी, जो बिना पीड़ा के अपना जीवन समाप्त करना चाहते हैं। इस मशीन को एक ऑस्ट्रेलियन वैज्ञानिक ने बनाया है।
कंपनी का दावा है, कि इस मशीन को वहीं शख्स संचालित कर सकता है, जिसे आत्महत्या करनी है। किसी कैप्सूल सी दिखनी वाली इस मशीन के अंदर उस व्यक्ति को लेटना होगा और फिर उसके बटन दबाने के बाद इसके अंदर नाइट्रोजन गैस का तेज प्रवाह होता है। इस कारण अंदर ऑक्सीजन का स्तर लगातार घटता जाता है जिससे भीतर लेटे व्यक्ति का दम घुट जाता है और उसकी मौत हो जाती है।
फिलहाल, अभी इस मशीन को स्विटजरलैंड में कानूनी मान्यता नहीं मिली है, ऐसा वहाँ की सरकार ने बताया है। इस मशीन के भीतर महिला की मौत और उसके बाद लोगों की गिरफ्तारी के बीच इच्छा-मृत्यु को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। बता दें, कि दुनिया के अधिकांश देशों में इच्छा-मृत्यु अवैध है।