उत्तरकाशी स्थित मस्जिद विवाद मामले में बीते बुधवार को मुख्यमंत्री धामी ने एक बड़ा फैसला लेते हुए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को मस्जिद के अभिलेखों की फिर से गंभीरता से जांच करने के निर्देश दिए थे। अब गुरुवार (7 नवंबर 2024) को विश्व हिंदू परिषद के प्रांत संयोजक अनुज वालिया ने उत्तरकाशी में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाए है, कि जिसे मस्जिद बताया जा रहा है, उस मकान के दस्तावेज अवैध रूप से बनाए गए है।
मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान विश्व हिंदू परिषद के प्रांत संयोजक ने कहा, अवैध रूप से बनाए गए कागजात अपने आप में विरोधाभास पैदा करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया, कि यह आतंकवादी सेंटर बना हुआ है, जिसमें कई आतंकी शरण ले चुके हैं। साथ ही इस्लामिक जिहाद फैलाने और धर्मांतरण का भी केंद्र बना हुआ है।
प्रांत संयोजक अनुज वालिया ने कहा, कि इसकी जांच की मांग को लेकर देवभूमि रक्षा मंच के माध्यम से बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा। इसके साथ ही 25 नवंबर को तहसील स्तर पर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा जाएगा। फिर एक दिसम्बर को रामलीला मैदान में महापंचायत की जाएगी।
उन्होंने कहा, कि कुछ समय पहले यूपी के सहारनपुर से दो हिंदू लड़कियों को लव जिहाद के तहत भगाया गया था। मामले की जांच के दौरान सामने आया था, उक्त लड़कियों को एक दिन के लिए विवादित भवन में ठहराया गया था। उन्होंने आरोप लगाया, कि ऐसे स्थल से आतंकवादी गतिविधि भी संचालित होती है। ऐसे में उत्तरकाशी की शांति को नष्ट करने की यह एक सुनियोजित योजना है।
गौरतलब है, कि बुधवार (6 नवंबर 2024) को उत्तरकाशी पहुंचे सीएम धामी ने मस्जिद विवाद में बड़ा फैसला लेते हुए डीएम और पुलिस अधीक्षक को मस्जिद के अभिलेखों की फिर से गहनता से जांच करने के निर्देश दिए थे। इसके साथ ही इस मामले को लेकर उत्तरकाशी में 24 अक्टूबर को हुए हंगामे की जांच करने के लिए भी कहा। मुख्यमंत्री धामी ने यह भी कहा है, कि जनपद में सरकारी जमीन पर जो भी अवैध कब्जे हुए हैं, उन पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
बता दें, कि उत्तरकाशी में 37 वर्ष पुरानी मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा है। जिला प्रशासन द्वारा 21 अक्टूबर को जारी रिपोर्ट में बताया गया था, कि जिस जमीन पर मस्जिद का निर्माण हुआ है, वह भूमि खातेधारकों के नाम पर दर्ज है। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार के मुस्लिम वक्फ विभाग लखनऊ की ओर से प्रकाशित सरकारी गजट में 20 मई 1987 में इस मस्जिद का उल्लेख है।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2005 को तहसीलदार के आदेश में यह उल्लेखित किया गया, कि संबंधित जमीन पर मस्जिद बनी हुई है। प्रशासन की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद हिंदू संगठनों ने इस पर नाराजगी जताई थी और 24 अक्टूबर को विशाल जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया था।