बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर की रात 9:07 बजे शीतकाल के लिए बंद होंगे। कपाट बंद होने से पूर्व 13 नवंबर से पंच पूजा की शुरुआत होगी, जिसमें पहले दिन भगवान गणेश की पूजा होगी। उल्लेखनीय है, कि बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने में दस दिन शेष रहने के बावजूद श्रद्धालुओं की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। धाम में ठंड के मौसम में भी श्रद्धालुओं की भारी संख्या में भीड़ उमड़ रही है। जिससे स्थानीय व्यापारियों भी बेहद खुश है।
विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत बुधवार (13 नवंबर 2024) से पंच पूजाएं शुरू होंगी। कपाट बंद करने के मौके पर श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय उपस्थित रहेंगे। बता दें, कि पंच पूजाओं के अंतर्गत पहले दिन भगवान गणेश की पूजा होगी और सांय काल को इसी दिवस पर गणेश मंदिर के कपाट बंद होंगे।
वहीं दूसरे दिन 14 नवंबर को आदि केदारेश्वर मंदिर और शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद होंगे। जबकि तीसरे दिन 15 नवंबर को खड्ग-पुस्तक पूजन और वेद ऋचाओं का वाचन बंद हो जाएगा। चौथे दिन 16 नवंबर को मां लक्ष्मी को कढ़ाई भोग चढ़ाया जाएगा और 17 नवंबर को रात 9 बजकर 7 मिनट पर बदरीनाथ धाम के कपाट बंद हो जाएंगे।
अगले दिन सोमवार 18 नवंबर को भगवान कुबेर और उद्धव सहित रावल, आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी शीतकालीन प्रवास पांडुकेश्वर और नृसिंह मंदिर जोशीमठ के लिए प्रस्थान करेगी। उद्धव और भगवान कुबेर शीतकाल में पांडुकेश्वर में प्रवास करेंगे। आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी सोमवार 18 नवंबर को पांडुकेश्वर प्रवास के बाद 19 नवंबर को समारोहपूर्वक गद्दीस्थल नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी। शीतकालीन प्रवास के दौरान पांडुकेश्वर और नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं आयोजित होंगी।