अल्मोड़ा स्थित जागेश्वर धाम के समीप कोटेश्वर गांव में खुदाई के दौरान एक रहस्यमयी शिवलिंग मिला है। कोटेश्वर गांव में दीवार निर्माण कार्य के दौरान जमीन से अचानक नाग प्रकट हो गया और जब फिर से खुदाई की गई, तो मौके पर मौजूद लोगों को शिवलिंग के दर्शन हुए। फिलहाल पुरातत्व विभाग अब इसके प्राचीन इतिहास की जानकारी जुटाने में लगा हुआ है। एक अनुमान के अनुसार, शिवलिंग हजार वर्ष से ज्यादा पुराना हो सकता है।
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, कोटेश्वर गांव में हरुजाग के निकट खेत की दीवार का निर्माण कार्य चल रहा था। दीवार निर्माण के लिए खुदाई शुरू होते ही धरती के भीतर से एक काला नाग बाहर निकल आया। नाग को देखते ही मौके पर मौजूद मजदूर भाग खड़े हुए। इसके बाद दीवार निर्माण का कार्य रोक दिया गया।
जमीन से काला नाग निकलने की सूचना के बाद बीते रविवार की सुबह स्थानीय युवा शेखर भट्ट के नेतृत्व में युवकों के एक दल ने मौके पर मिट्टी का टीला हटाने का काम शुरू किया। खुदाई होते ही धरती से पहले एक विशालकाय शिवलिंग उभरकर सामने आया। जब खुदाई आगे बढ़ी, तो जमीन के भीतर एक मंदिर और एक और शिवलिंग देख ग्रामीण चौंक गए।
इस रहस्यमय घटना की सूचना मिलते ही मौके पर आसपास के लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। स्थनीय लोग इस घटना को भगवान का चमत्कार मान रहे है। पुरात्वविदों के मुताबिक, शिवलिंग हजारों साल पुराना है। उल्लेखनीय है, कि कोटेश्वर गांव का जागेश्वर धाम के मंदिरों से सीधा संबंध है। डेढ़ हजार साल पहले जागेश्वर के मंदिरों के निर्माण के लिए कोटेश्वर से ही पत्थरों की आपूर्ति हुई थी।
कोटेश्वर में नदी किनारे कोटलिंग नामक एक रहस्यमय स्थान आज भी स्थित है। उस स्थान पर खुदाई करते ही जमीन से प्राचीन शिवलिंग निकलते हैं। कोटलिंग का रहस्य आज तक पुरातत्विद नहीं सुलझा पाए हैं। ऐसा कहा जाता है, कि कोटलिंग के आसपास जमीन के नीचे जागेश्वर का प्राचीन इतिहास छिपा हुआ है।