एक लंबे अंतराल के बाद तीन तरफ से देश में मौसम का मिजाज बदलने का वातावरण तैयार हो चुका है। उत्तर भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव मंगलवार देर रात से नजर आने लगा है। वहीं बंगाल की खाड़ी में साइक्लोनिक सर्कुलेशन बना हुआ है, जिसके चलते तटीय इलाकों में बारिश हो सकती है। उधर, दक्षिण के राज्यों में लगातार बारिश जारी है।
मंगलवार देर रात से उत्तर में जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों पर पश्चिमी विक्षोभ का असर दिखने लगा है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है, जिसके चलते तटीय इलाकों में बारिश हो सकती है। वहीं दक्षिण के राज्यों में लगातार बारिश हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार, दो दिन बाद उत्तर-पश्चिम से हवा का बहाव होने लगेगा, तो उत्तर के मैदानी इलाकों में भी तापमान धीरे-धीरे गिरावट दर्ज की जाएगी। हालांकि अभी कड़ाके की सर्दी पड़ने के आसार नहीं है।
दरअसल, ठंड का गहरा असर तब होगा जब पहाड़ों में भारी बर्फबारी होगी। वहीं उत्तर तमिलनाडु और उससे सटे बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना कम दबाव का क्षेत्र अब कमजोर पड़ गया है। बांग्लादेश के ऊपर एक और चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है। एक पश्चिमी विक्षोभ आज रात से हिमालय क्षेत्र, जम्मू और कश्मीर को प्रभावित करना शुरू कर देगा।
गौरतलब है, कि उत्तराखंड में इस साल नवंबर के मौसम का पैटर्न सामान्य से बिल्कुल अलग है। मानसून के गुजर जाने के बाद राज्य के ज्यादातर इलाकों में एक भी बूंद बारिश नहीं हुई, जिससे फिलहाल मौसम शुष्क बना हुआ है और लोगों को सूखी ठंड से परेशानी हो रही है।
बता दें, कि कुछ दशकों पहले नवंबर में हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी और देहरादून में हल्की बारिश होती थी, जिससे सर्दी की शुरुआत होती थी. लेकिन इस बार अब तक बारिश के कोई आसार नहीं दिख रहे, और राजधानी के वातावरण में धुंध छाई हुई है। बदलते मौसम के इस पैटर्न से लोगों को ठंड का प्रभाव कम महसूस हो रहा है, वहीं प्रदूषण का स्तर भी चिंता का विषय बन गया है।