केरल राज्य से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। दरअसल, जिस शख्स को मृत मान लिया गया, वह जिंदा हो गया। उत्तर केरल में एक मृत बुजुर्ग की धड़कन मुर्दाघर ले जाने से पहले ही चलने लगी। बताया जा रहा है, कि परिजनों ने मंगलवार को स्थानीय अखबारों में शोक संदेश भी प्रकाशित किया था। इस सूचना पर कई परिचित और रिश्तेदार निधन पर संवेदना व्यक्त करने के लिए संबंधित शख्स के घर पहुंच चुके थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंगलुरु के एक प्राइवेट अस्पातल से 67 वर्षीय पवित्रन का परिवार उनके शव को बीते सोमवार रात लेकर कन्नूर आया था। अंतिम संस्कार से पहले शव को अस्थाई तौर पर रखने के लिए कन्नूर के एकेजी मेमोरियल को-ऑपरेटिव अस्पताल के मुर्दाघर में फ्रीजर तैयार किया गया था। इस दौरान उनके घर पर मंगलवार को होने वाले उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही थीं, लेकिन उन्होंने पुनः जीवित होकर सबको अचंभित कर दिया।
बताया जा रहा है, कि कन्नूर शहर के कुथुपरम्बा स्थित पचपोइका निवासी पवित्रन का शरीर मुर्दाघर ले जाते वक्त अस्पताल के एक कर्मचारी जयन ने पवित्रन की उंगलियों में हल्की हरकत देखी और उनके परिजनों और चिकित्सकों को सूचना दी। अस्पताल के कर्मचारी जयन ने बुधवार को मीडिया को बताया, कि इस दौरान उनके साथ इलेक्ट्रीशियन अनूप भी वहां मौजूद थे।
जयन ने बताया, कि अनूप ने देखा, कि पवित्रन की उंगलियां हिल रही थी और उन्होंने तुरंत इसके बारे में मुझे बताया। इस दौरान मैंने देखा, कि ऐसा वाकई में हो रहा था। इसके बाद हमने तत्काल रिश्तेदारों और डॉक्टरों को इसकी सूचना दी। चिकित्सकों द्वारा रक्तचाप जांचने के बाद पवित्रन की स्थिति को सामान्य बताया।
चिकित्सकों द्वारा पुष्टि किये जाने के बाद पवित्रन को तुरंत आईसीयू में शिफ्ट किया गया। एकेजी मेमोरियल अस्पताल के अधिकारियों ने बुधवार को मीडिया को जानकारी दी, कि पवित्रन उपचार के दौरान सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं। जब उन्हें नाम से पुकारा जाता है, तो वह अपनी आंखें खोल रहें हैं और लोगों को देख रहे हैं। हालांकि उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है।
मौत की दहलीज को छूकर वापस लौटे पवित्रन के परिजनों के अनुसार, वह दिल और फेफड़ों से संबंधित गंभीर बीमारियों समेत स्वास्थ्य से जुडी कई परेशानियों को झेल रहे थे। उन्हें कर्नाटक के मंगलुरु स्थित एक निजी अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। आर्थिक मजबूरियों के चलते परिजनों ने बीते सोमवार को उन्हें गृहनगर पचपोइका वापस लाने का निर्णय किया।
परिजनों को डॉक्टरों ने बताया था, कि पवित्रन का वेंटिलेटर सपोर्ट हटाने के महज 10 मिनट के अंतराल में उनकी मृत्यु हो जाएगी और वेंटिलेटर की सहायता के बगैर एक साधारण एम्बुलेंस में पांच घंटे से अधिक की यात्रा में उनका जीवित बचना नामुमकिन है।
वहीं स्वजनों ने दावा किया, कि मंगलुरू के अस्पताल से एंबुलेस में पचपोइका लाने के दौरान पवित्रन के शरीर में कोई हरकत नहीं देखी गई। रात में कन्नूर पहुंचने पर परिवार उनके शव को एकेजी अस्पताल के मुर्दाघर में रखने के लिए लाया था।