एक और जहां कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने शहरों के अलावा अब हिन्दुस्तान के गावों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है। वही हिमाचल प्रदेश के मलाणा गांव के निवासी गांव में कोरोना संक्रमण के मामले शून्य होने का दावा कर रहे हैं। कोरोना आपदाकाल के पंद्रह महीने गुजरने के बाद भी इस गांव में कोरोना का एक भी केस सामने नहीं आया है। यह इसलिए संभव हो पाया, क्योंकि अब तक के कोरोना काल में यहां रहने वाले लोगो ने गांव में सेल्फ लॉकडाउन का पालन कर बाहरी लोगों और पर्यटकों के आने पर रोक लगा रखी है।
मलाणा गांव में नियमानुसार यहाँ के लोगो को बिना जरुरी कार्य के गांव के बाहर जाने की मनाही थी। गांव के लोगों ने गांव के चारों तरफ पहरा देकर यह सुनिश्चित किया कि गांव में कोई भी बाहरी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर पाये। मलाणा गांव के जाने के लिये हिमाचल परिवहन निगम की महज एक बस सेवा है। कोरोना संक्रमण के चलते वह बस एक साल बाद इसी साल अप्रैल महीने में चली थी, परन्तु दूसरी लहर के चलते यह बस सेवा दोबारा से बंद है।
भारत के उत्तर में स्थित हिमाचल प्रदेश के अन्य पर्यटक स्थलों से भिन्न मलाणा गांव कुल्लू जिले में स्थित है। मलाणा गांव जो अपनी आध्यात्मिक मार्गदर्शन संस्कृति एवं धार्मिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। साहसिक पर्यटन एवं मलाणा तक ट्रेकिंग करके भी जाने वाले पर्यटकों के लिए यह जगह बहुत खास हैं। तक़रीबन दो ढाई हजार की जनसंख्या वाले इस गांव में जमदग्नि ऋषि (जमलू देवता) के कायदे कानून पर चलता है।
मलाणा में जमदग्नि मंदिर एवं रेणुका देवी के मंदिर एक दूसरे के निकट स्थित हैं, जो यहाँ का प्रमुख आकर्षण है। पुराने अभिलेखों के अनुसार, मलाणा गांव में रहने वाले लोगो के पूर्वज आर्य थे। इसके अलावा यह भी कहा जाता है, कि मलाणा के लोग क्रूर यूनानी योद्धा सिकंदर के फौज के वंशज हैं। हिन्दुस्तान में यही एक मात्र जगह है, जहा पर भारतीय कानून लागू नहीं होते। संसार के सबसे पुराने लोकतंत्र वाले मलाणा गांव की अपनी संसद है, जो सभी गांव से सम्बंधित सभी निर्णय करती है।
मलाणा गांव में यदि कोई अपराध होता है तो उसका दंड जमलू देवता देते हैं। हिन्दुस्तान के इस गांव में कोई भी भारतीय कानून या पुलिस का अधिकार यहां नहीं चलता है। मलाणा गांव में सदन व्यवस्था के साथ ही इस गांव का अपना प्रशासन भी है। कानून व्यवस्था नियंत्रित करने के लिये इनके खुद के दरोगा भी होते हैं।
मलाणा गांव में बाहरी लोगों को कुछ भी छूने पर प्रतिबन्ध है। गांव के मुख्य द्वार पर इसके संबंध में बकायदा नोटिस भी लगाया गया है। जिसके अनुसार गांव में किसी भी वस्तु को छूने पर एक हजार रुपए का जुर्माना अदा करना होगा। मलाणा गांव में बाहर से आये पर्यटकों को अगर ख़रीददारी करनी है, तो वह पैसे दुकान की चौखट पर रख देते हैं और दुकानदार भी सामान को जमीन पर रख देता है।