नेटफ्लिक्स द्वारा रिलीज जैक स्नाइडर निर्देशित फिल्म “आर्मी ऑफ द डेड” ने एक महीने पहले अपने ट्रेलर से दर्शको के बीच एक उत्सुकता जगा दी थी। भारतीय दर्शक इस फिल्म का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। बीते शुक्रवार को यह फिल्म रिलीज कर दी गयी है, जिसको लेकर दर्शको की मिलीजुली प्रतिक्रिया आ रही है। फिल्म “आर्मी ऑफ द डेड” हिंसात्मक, खून-खराबे और इंसान से जाम्बी बने लोगो की लाशों का पहाड़ दिखाने का सिनेमा है।
फिल्म में भूतपूर्व रेसलर डेव बाउटटिस्टा, एला परलने, एना डिला रेगुएरा, ओमारी हार्डविक और मथियास श्वेइगॉफर मुख्य भूमिका निभा रहे है। गौरतलब है, कि इस फिल्म में मुंबई फिल्म जगत की फ्लॉप अभिनेत्री हुमा कुरैशी भी है। जो इस फिल्म में गरीब,अबला भारतीय नारी का एक छोटा सा किरदार निभा रही है। निर्देशक जैक स्नाइडर ने फिल्म की कहानी की नवीनता पर जोर देने के बजाये फिल्म के तकनीक पक्ष पर अधिक महत्व दिया है।
फिल्म की शुरुवात के पहले सात से आठ मिनट दर्शको को अन्य जॉम्बी फिल्मो के मुकाबले “कुछ अलग हट के” वाला अहसास दिलाती है। परन्तु जैसे जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, वो पुरानी जॉम्बी फिल्मो की तरह एक ढर्रे में आकर सिमट जाती है। फिल्म में एक सड़क हादसे से जाम्बी कैद से आजाद हो जाता है, जो बाद में जाकर एक पूरे शहर को जॉम्बी बना देता है। सरकार संक्रमण को रोकने के लिए जॉम्बियों को खदेड़ कर उस शहर तक उनको सीमित कर देती है।
शहर को जोम्बियों से बचने के लिए चारों तरफ कंटेनर्स का घेरा बना दिया जाता है। और अंत में सरकार निर्णय करती है, कि एक कम घनत्व वाले परमाणु बम गिराकर शहर से जॉम्बियों का नामोनिशान मिटा दिया जाए। इसके बाद फिल्म के नायक (डेव बाउटटिस्टा) को एक मिशन सौंपा जाता है। जिसमे उसे अपने साथियो के साथ मिलकर जॉम्बियों से भरे शहर में जाकर एक इमारत के नीचे बने तहखाने की तिजोरी में रखी दौलत को वापस लाना है।
वीभत्सता के विभिन्न आयामों को प्रदर्शित करती जैक स्नाइडर निर्देशित फिल्म “आर्मी ऑफ द डेड” में कुछ नयापन है, तो मात्र इतना कि इस फिल्म के जॉम्बी अब सोचने समझने भी लगे हैं। उन्होंने अपना इलाका बनाकर अपना जॉम्बी साम्राज्य खड़ा कर दिया है। और वे उनके इलाके में आने वाले लोगो से तोफहा लेकर बाकी लोगो को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते है। बारिश की बूंदे सूखे हुए जॉम्बी को फिर से जीवित कर देती है, फिल्म की शुरुवात में दर्शक जिस रोचकता की उम्मीद कर रहे थे, वह फिल्म के अंत तक कही भी दिखाई नहीं देती है।
“आर्मी ऑफ द डेड” का फिल्मांकन भव्य है, परन्तु फिल्म की कहानी सर का दर्द पैदा करती है। फिल्म के निर्देशक द्वारा फिल्म को बाप-बेटी का इमोशनल ड्रामा बनाने का एक असफल प्रयास किया है। क्योंकि फिल्म की कहानी के अनुसार हीरो की नीयत में ही खोट नजर आता है। फिल्म को देखते हुए लगता है, कि नायक और उसके साथ जॉम्बी से भरे उस शहर में मिशन पूरा करने नहीं बल्कि टहलने गए है। फिल्म में कई जगह जॉम्बी के किरदार डराने के बजाये हास्य पैदा करते है।
हुमा कुरैशी फिल्म में गीता नाम की एक महिला किरदार निभा रही है। जिसका फिल्म की कहानी से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं है। फिल्म के मेकर्स ने शायद भारतीय दर्शको को लुभाने के लिए उन्हें जबरदस्ती फिल्म में घुसेड़ा है। और फिल्म के अंत में उनके साथ क्या हुआ ये भी बताने से निर्देशक ने जरुरी नहीं समझा। कुल मिलकर “आर्मी ऑफ द डेड” देखने लायक एक नालायक फिल्म है। जिसे उसके फिल्मांकन,खून खराबे और वीभत्सता के साथ अकेले में देखा जा सकता है।