कोरोना वायरस की उत्पत्ति कुदरती तौर पर हुई है, या नहीं यह सवाल सभी के मन में है। इसी प्रश्न के जबाब में अमेरिका के चर्चित संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एंथनी फासी ने कहा है, कि इस बात को हजम करना आसान नहीं है, कि क्या कोरोना वायरस की जन्म प्राकृतिक तरीके से हुआ है। कोरोना वायरस के सम्बन्ध विस्तृत जांच की जानी चाहिए, कि चीन में ऐसा आखिर ऐसा क्या हुआ। जिसके परिणाम स्वरुप यह भयानक वायरस सामने आया। जानकारी के लिए बता दे, एंथनी फासी अमेरिकी राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस के मुख्य चिकित्सा सलाहकार है।
उन्होंने कहा कि अभी तक जिन विशेषज्ञों ने कोरोना संक्रमण की जाँच पड़ताल की है, उनके अनुसार यह वायरस किसी जानवर से इंसानों में फैला है, परन्तु यह कुछ और भी हो सकता है। इसलिए वे इस वायरस के जन्म का पता लगाने वाली जांच का पक्षधर हूँ। गौरतलब है, कि पिछले साल तत्कालीन ट्रंप प्रशासन ने यह दावा किया, कि चीन के वुहान प्रयोगशाला से कोरोना वायरस लीक हुआ था।
उस वक्त अमेरिका सहित अन्य राष्ट्रों की मांग पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विशेषज्ञों के एक दल को कोरोना का स्त्रोत पता करने के लिए गत जनवरी में चीन भेजा था। परन्तु डब्ल्यूएचओ ने पिछले हफ्ते कोरोना के चीन की लैब से लीक होने की बात को अस्वीकार कर दिया था। गौरतलब है,कि वाल स्ट्रीट जरनल अखबार में प्रकाशित यह खबर उस अमेरिकी ख़ुफ़िया रिपोर्ट पर आधारित है, जिसे ट्रंप प्रशासन के आखिरी दिनों में तैयार किया गया था।
उसमे कहा गया है,कि वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी के शोधकर्ताओं के बारे में नई जानकारी प्राप्त हुई है। उन शोधकर्ताओं के बीमार पड़ने और अस्पताल में भर्ती होने के समय से ज्ञात होता है, कि वुहान लैब के तीन शोधकर्ताओं ने नवंबर 2019 में उस वक्त अस्पताल से इलाज के लिए सहायता मांगी थी, जब उनके देश में कोरोना वायरस का एक भी केस सामने नहीं आया था। इस घटना के महीने भर बाद ही चीन में कोरोना वायरस के प्रारंभिक मामलों की पुष्टि की गई थी।
वाल स्ट्रीट जर्नल ने में छपी इस खुफिया रिपोर्ट के बारे में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियान ने अपने बयान में कहा कि , वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी के तीन शोधकर्ताओं के बीमार पड़ने की खबर पूरी तरह भ्रामक है। उन्होंने कहा कि अमेरिका कोरोना संक्रमण के वुहान लैब से लीक होने की बात का लगातार झूठा प्रचार कर रहा है।
फिलहाल इस मामले में भारत सीधे आरोप – प्रत्यारोप से बचना चाहता है। भारत कोरोना की उत्पति के संबंध में ठोस जांच का पहले भी समर्थन करता रहा है, और अब भी इस मामले में उसका यही रुख है। भारत के विदेश मंत्रालय मार्च माह के अंत में एक आधिकारिक बयान में कहा था, कि उन्होंने डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधियों को पर्याप्त डाटा उपलब्ध नहीं कराया था। भारत सरकार ने कहा कि वह इस बात के पक्ष में है, कि डब्ल्यूएचओ को इस विषय पर अध्ययन करने के लिए इससे संबंधित सभी पक्षों की पूरी सूचनाएं उपलब्ध करवानी चाहिए। गौरतलब है कि भारत की इस आधिकारिक प्रतिक्रिया में कहीं भी चीन का नाम नहीं लिया गया था।