एलोपैथी पर टिप्पणी के बाद विवादों में घिरे योगगुरु बाबा रामदेव का एक और बयान सुर्खिया बटोर रहा है। अब बाबा रामदेव ने अपने नए बयान में कहा है, कि एलोपैथी से उपचार संसार का सबसे बड़ा झूठ है और साथ ही कोरोना संक्रमण काल में एलोपैथी से मात्र दस फीसदी गंभीर रोगी ठीक हुए है जबकि आयुर्वेद से नब्बे प्रतिशत मरीजों को स्वास्थ्य लाभ हुआ है। बाबा रामदेव ने कहा कि कोरोना वायरस का उपचार प्राकृतिक चिकित्सा ,योग और आयुर्वेद से ही संभव है।
कुछ रोज पहले बाबा रामदेव द्वारा एलोपैथी पर दिए बयान पर हंगामा मचने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन द्वारा पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके है। इसके कुछ समय बाद योगगुरु द्वारा अपना बयान वापस लेने की घोषणा कर चुके है। इसके ठीक एक रोज बाद बाबा रामदेव द्वारा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और फार्मा कंपनियों के नाम खुला पत्र जारी कर 25 सवाल पूछे थे। बीते शुक्रवार को बाबा रामदेव द्वारा अपने एक बयान को री-ट्वीट करते हुए कहा कि एलोपैथी के पास कमजोर फेफड़ों,नर्वस सिस्टम और शारीरिक प्रतिरक्षा प्रणाली का कोई कारगर उपचार नहीं है।
मैं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन व फार्मा कंपनियों से विनम्रता के साथ सीधे 25 सवाल पूछता हूँ- pic.twitter.com/ATVKlDc9tl
— स्वामी रामदेव (@yogrishiramdev) May 24, 2021
बाबा रामदेव के बयानों के बाद उपजे विवाद से आयुर्वेद और एलोपैथी चिकत्सा विशेषज्ञों के बीच मानो युद्ध छिड़ गया है। कोरोना आपदाकाल के समय में योगगुरु बाबा रामदेव द्वारा एलोपैथी को निशाने पर लिए जाने से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन उन पर जबाबी हमलावार है। इसी के मद्देनजर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बाबा रामदेव पर एक हजार करोड़ का मानहानि का दावा किया है। इसके साथ ही आईएमए की बंगाल शाखा ने कोलकाता के सिंथी थाने में भी मुकदमा दर्ज करवाया है।
योगगुरु बाबा रामदेव पर आईएमए द्वारा किये गए एक हजार करोड़ के मानहानि के मुकदमे का माखौल उड़ाते हुए बाबा रामदेव द्वारा कहा गया कि जिनका कोई मान नहीं है, वे लोग मानहानि का दावा कर रहे है उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में देश के भीतर वैचारिक,धार्मिक और सांस्कृतिक आतंकवाद तेजी से अपने पैर पसार रहा है। उन्होंने उनका विरोध करने वालो पर आरोप लगते हुए कहा कि इस समय देश विदेश के अस्पतालों में कोरोना संक्रमण के उपचार के लिए जिन दवाओं का उपयोग हो रहा है उनमे से किसी भी एलोपैथी दवा का कोरोना प्रोटोकॉल के अंतर्गत क्लिनिकल ट्रायल अभी तक नहीं हुआ है। बाबा रामदेव ने प्रश्न किया कि बिना क्लिनिकल ट्रायल के किस आधार पर इन दवाओं का प्रयोग कोरोना संक्रमित मरीजों पर किया जा रहा है।
योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि एलोपैथी मात्र दो सौ वर्ष पूर्व धरती में अस्तित्व में आया था। तो क्या उससे पूर्व पृथ्वी पर मनुष्य जीवित नहीं रहते थे। उस वक्त तो 200 साल तक इंसान जिंदा रहते थे। भारतीय योग से बड़ा कोई विज्ञान नहीं है। बाबा रामदेव द्वारा एलोपैथी के सम्बन्ध में शुरू की गई मुहीम में उन्हें कई लोगो का समर्थन मिल रहा है, तो कई लोग उनके बयानों पर विरोध भी दर्ज कर रहे है।