कोरोना काल में युवा नागरिको के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए चिंतित माननीय दिल्ली हाईकोर्ट ने बीते मंगलवार को व्यथित मन से भारत सरकार को एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा, कि बुजुर्गों के अपेक्षा देश के भविष्य युवाओं को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगायी जानी चाहिए, परन्तु सरकार द्वारा बुजुर्गों को पहले प्राथमिकता दी गई।
माननीय उच्च न्यायालय ने कहा, कि पिछले साल जब इटली के अस्पतालों में बिस्तरों की कमी हुई, तो इटली की सरकार ने यह निर्णय किया था, कि बुजुर्गों नागरिको के बजाय अस्पतालों में युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। यदि दुनिया के अन्य दूसरे देश यह फैसला ले सकते हैं, तो भारत सरकार इस प्रकार के निर्णय में क्यों विलंब कर रही है।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह द्वारा भारत सरकार की वैक्सीन नीति पर टिप्पणी करते हुए कहा, कि जिन युवाओं की कोरोना संक्रमण के चलते असमय मृत्यु हुई है,उन्हें पहले वैक्सीन लगाई जानी चाहिए थी। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर से सबसे अधिक युवा वर्ग प्रभावित हुआ है। परन्तु टीकाकरण अभियान में उनकी अनदेखी की गयी। टीकाकरण को लेकर केंद्र सरकार की नीति में विरोधभास प्रतीत होता है। जब पर्याप्त मात्रा में कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, तो 18 से 45 साल के नागरिको को वैक्सीन लगवाने की घोषणा क्यों की गयी।
माननीय न्यायालय द्वारा सुनवाई के दौरान उदहारण देते हुए कहा, कि देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा हेतु उन्हें विशेष एसपीजी सुरक्षा प्रदान की जाती है। यह अन्य को क्यों नहीं दी जाती है। यह इसलिए जरुरी है, क्योंकि वे देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्ति है। इसी प्रकार देश के भविष्य के लिए युवा वर्ग का टीकाकरण बेहद जरुरी है। वर्तमान परिस्थिति में हमें सभी के प्राण बचाने के प्रयास करने चाहिए, परन्तु आज स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, अगर हमें दोनों में से किसी एक को चुनना होगा, तो हमें युवा वर्ग के जीवन को बचाना होगा।