भारतीय संस्कृति में जैसे गंगा एवं गाय को माता का स्थान प्राप्त है। ठीक उसी प्रकार तुलसी माता को भी वही स्थान प्राप्त है। प्रत्येक हिन्दू धर्म कर्म में तुलसी माता उपस्थित रहती है। इसके बिना यज्ञ, दान आदि सब कर्मफल विफल माने जाते है। शास्त्रों में तुलसी माता को विशेष महत्व दिया गया है।
कार्तिक मास में तुलसी की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। यह माना जाता है, कि बहुत सी गायो को दान करने से जिस फल की प्राप्ती होती है। उसी फल की प्राप्ती कार्तिक मास में तुलसी के पत्तों को दान करने से मिलता है। कार्तिक मास के महीने में तुलसी की माला पहनना भी बड़ा शुभकारी माना गया है।
हमारे महान पूर्वजों ने तुलसी माता के पवित्र गुणों की महिमा के फलस्वरूप ही तुलसी माता को हिन्दू धर्म में इतना उच्च धार्मिक स्थान प्रदान किया है। जिस प्रकार पतित पावनी गंगा माता के पवित्र जल में सर्व मंगलकारी गुण होते हैं, और गाय माता के दूध की धार हमारे मस्तिष्क व शरीर को पुष्ट करती है।
उसी प्रकार तुलसी माता भी घातक रोगों से हमारी रक्षा करती है। मानव के स्वास्थ्य को उन्नत करने में इस पवित्र पौधे का विशेष स्थान है। तुलसी के पत्ते, मूल, फूल और बीज भी सभी चिकित्सा में प्रयोग किये जाते है। छोटे-मोटे रोगों से शरीर की रक्षा हेतु, तुलसी को भगवान के चरणामृत में देने का कार्य प्राचीन काल से हमारे पूर्वजों करते आ रहे है।
पुराणों में मान्यता है, कि जिस घर में तुलसी के पौधे लगे होते हैं। वह घर पवित्र तीर्थ स्थान के सामान होता है। उस घर में यम और व्याधियाँ प्रवेश नहीं कर सकती हैं। कार्तिक मास में तुलसी की माला पहनने एवं सेवन को इसलिए विशेष महत्व दिया गया है, क्योँकि वर्षा ऋतु के बाद मलेरिया का अधिक प्रकोप रहता है। जिस घर में तुलसी के पौधे अधिक रहते हैं, उस घर में मलेरिया के मच्छर व अन्य विषाणु आदि पनप नहीं पाते है।
तुलसी का पौधा वातावरण को सुगन्धित बनाने के अलावा वायु को भी शुद्ध करता है। मानव शरीर को स्वस्थ एवं निरोग रखने में तुलसी हर प्रकार से लाभदायक है। आयुर्वेद में तुलसी के प्रयोग को सभी प्रकार के रोगों में गुणकारी माना गया है। सनातन हिन्दू समाज के अनुयायी प्राचीन काल से नित्य विधि पूर्वक तुलसी के पौधे की पूजा एवं नियमनुसार तुलसी के पौधे को सींचते है। तुलसी के अत्यंत पवित्र एवं व गुणकारी पौधे जिस घर में रहते है, उस घर की हर प्रकार से उन्नति होती है।
आधुनिकता की दौड़ में आज का हिन्दू समाज इस पवित्र और गुणकारी पौधे की अनदेखी कर रहा है। हमारे महान पूर्वजों के द्वारा सर्वसाधारण के हित के लिए अपने ज्ञान व अनुभव से तुलसी के अलौकिक गुणों को जानकर धर्म शास्त्रों में इसके महत्व के बारे में बताया है। हिन्दू धर्म ग्रंथो में इस परम उपयोगी व पवित्र पौधे की सेवा व उपयोग के जो मार्ग बताये है। उससे हम अपनी अज्ञानतावश दूर हो रहे हैं, और इस पौधे का उचित लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
इस परम कल्याणकारी पौधे के गुणों को विदेशी चिकित्सक मलेरिया से बचने के लिए उत्तम औषधि मानते हैं। इनफ्लुएंजा एवं अन्य अन्य औषधियों के साथ मिलाने से यह सर्प के विष से भी मनुष्य के प्राण बचाती है। मकड़ी, बिच्छू,और ततैया आदि के काटे जाने पर तुलसी के पत्तों को रगड़ने से लाभ होता है।
यह तुलसी का पवित्र पौधा धनवान और निर्धन सभी अपने घर में लगा सकते हैं। इस परम पवित्र लाभदायक पौधे का प्रचार बड़े उत्साह के साथ सभी सनातनी भाई बहनो को करना चाहिए और तुलसी के पौधे के महत्व और गुणों को प्रत्येक नागरिक को बताएं, जिससे सभी तुलसी के पौधे का गुणकारी उचित लाभ उठा सके और देश का कल्याण हो।