कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक रहे जितेंद्र प्रसाद के पुत्र जितिन प्रसाद बीते बुधवार को भाजपा में शामिल हो गए है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और भाजपा राज्यसभा सांसद एवं प्रवक्ता अनिल बलूनी की मौजूदगी में भारतीय जनता दल की सदस्यता ग्रहण करते हुए जितिन प्रसाद ने कहा, कि देश में यदि कोई राष्ट्रीय दल संस्थागत नीति का पालन कर रहा है, तो एक मात्र राष्ट्रवादी पार्टी भाजपा है। उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावो के मद्देनजर ब्राह्मण परिवार से आने वाले जितिन प्रसाद भाजपा की सामाजिक राजनीती के लिए अहम माने जा रहे है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी एवं राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा गाँधी के नजदीकी समझे जाने वाले युवा नेता जितिन प्रसाद का ठीक उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले भाजपा का दामन थामना कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। पूर्व में ज्योतिरादित्य सिंधिया और अब जितिन प्रसाद का कांग्रेस पार्टी को छोड़ के जाने का निर्णय यह दर्शाता है, कि युवा नेता कांग्रेस में अपने लिए भविष्य में बेहतर राजनीतिक अवसर नहीं देख पा रहे है। कांग्रेस को वर्तमान में ऐसी परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जहां प्रत्येक चार छह महीने के अंतराल में कांग्रेस का कोई ना कोई नेता पार्टी छोड़ के जा रहा है।
श्री @JitinPrasada जी का भारतीय जनता पार्टी में स्वागत है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि उनके पार्टी में शामिल होने से उत्तर प्रदेश में भाजपा के जनसेवा के संकल्प को और मजबूती मिलेगी। pic.twitter.com/88oPR916PD
— Amit Shah (@AmitShah) June 9, 2021
हाल ही में सम्पन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावो में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण चेहरे जितिन प्रसाद का कांग्रेस पार्टी को छोड़ के जाना एक बड़ा आघात माना जा रहा है। हालाँकि जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है, कि अगर जितिन प्रसाद इतने ही प्रभावशाली नेता होते तो वह दो लोकसभा चुनाव और एक विधानसभा चुनाव क्यों हारते। कांग्रेस इस समय दोधारी तलवार पर चल रही है ,एक ओर कांग्रेस सतही तौर पर कमजोर पड़ती जा रही है , तो दूसरी ओर उसके नेता एक के बाद एक पार्टी छोड़ के जा रहे है।
युवा नेता जितिन प्रसाद द्वारा पहला लोकसभा चुनाव 2004 में शांहजहांपुर से जीता था। इसके बाद वह 2009 धौरहरा लोकसभा से चुनाव जीतकर संसद के लिए चुने गए। हालांकि उसके बाद हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तूफानी आंधी के चलते हुए पराजय का सामना करना पड़ा। 2019 के लोकसभा चुनावो में उन्हें कांग्रेस कि अंदुरनी राजनीती का शिकार होना पड़ा। जिस कारण उन्हें अपना टिकट तक बचाना भारी पड़ गया था। उत्तर प्रदेश की सक्रिय राजनीती में प्रियंका गाँधी के पदार्पण के बाद जितिन प्रसाद को हाशिये में धकेलने का प्रयास किया जा रहा था। और आखिरकार बीते बुधवार को जितिन प्रसाद द्वारा कांग्रेस से नाता तोड़ भाजपा का दामन थाम लिया।