हिन्दुस्तान में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के प्रकोप से धीरे – धीरे बाहर निकालने का प्रयास कर रहा है। केंद्र सरकार द्वारा चलाये जा रहे है, टीकाकरण अभियान से इस महामारी को रोकने में बहुत हद तक सफलता प्राप्त हुई है। जहाँ एक ओर कोरोना के मामलो में अस्सी फीसदी कमी आयी है, वही कोरोना के डेल्टा वेरिएंट में हुए नए म्यूटेशन को लेकर शोधकर्ता सतर्क हो गए है।
विशेषज्ञों की राय में अभी कोई चिंताजनक बात नहीं है , परन्तु सावधानीपूर्वक डेल्टा वेरिएंट की प्रगति पर नजर रखने की जरुरत है। कोरोना से संक्रमित होने की दशा में अथवा वैक्सीनेशन के बाद शरीर में जो मोनोक्लोनल एंटीबॉडी बनती है, उससे संक्रमण से लड़ने में प्रभावी है। वायरस अपनी प्रकृति के अनुसार मानव अंगो तक अपनी पहुंच बनाने के बाद स्वयं की जनसंख्या बढ़ाने का कार्य करता है। और एक समय के बाद अन्य नई कोशिकाओं पर हमला करता है। कोरोना से लड़ने में सक्षम हमारे शरीर की मोनोक्लोनल एंटीबॉडी से चिपकने के बाद अन्य कोशिकाओं तक पहुंचने के मार्ग को बंद कर देती है।
डेल्टा वेरिएंट कोरोना के तीन वेरिएंटस में से एक इस वायरस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भी पिछले माह चिंता जाहिर की गई थी। हालाँकि अमेरिका में प्रयोग में लायी जा रही कोरोना वैक्सीन इस डेल्टा वेरिएंट के प्रभाव को नष्ठ करता है। इसलिए हिन्दुस्तान में चल रहे वैक्सीनेशन अभियान पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है।