देवभूमि उत्तराखंड का प्रवेश द्वार हरिद्वार में पवित्र माँ गंगा के तट पर अनेक संतो और महापुरुषों को ज्ञान प्राप्त हुआ है। आधुनिक युग में भी देश विदेश के श्रद्धालु आध्यात्मिकता की खोज में माँ गंगा के तट पर पहुंचते है।
प्राचीन काल में हरिद्वार अथवा अन्य चार धामों की धार्मिक यात्राओं में बहुत समय ,धन और परिश्रम के साथ आस्था का भाव सर्वोपरी होता था। परन्तु आज गंगा के तट अध्यात्म से अधिक रोमांच का साधन बन गए है।
दरअसल हरिद्वार में बीते गुरुवार हरियाणा और मुजफ्फरनगर के छह युवकों को हरकी पैड़ी स्थित मालवीय घाट पर हुक्का पी रहे थे। उस समय घाट पर श्रद्धालुओ की भीड़ थी। हुक्का पीने के साथ ही युवक हुडदंग भी मचा रहे थे। आस पास के लोगो ने जब उनसे हुक्का पीने के लिए माना किया, तो युवक लोगो के साथ अभद्रता पर उतर आये।
#Haridwar: गुरुवार को हरियाणा और दिल्ली के कुछ युवक हरकी पैड़ी पर स्नान करते समय हुक्का पी रहे थे। जिससे नाराज तीर्थ पुरोहितों ने युवकों को पकड़ लिया और हुक्का तोड़कर युवकों की पिटाई कर, पुलिस को सौंप दिया।@JagranNews @uttarakhandcops @MygovU pic.twitter.com/X6YA0gaGAF
— amit singh (@Join_AmitSingh) July 8, 2021
इसके बाद घाट पर मौजूद तीर्थ पुरोहितो ने युवको से हुक्का छीन कर उसे तोड़ डाला और उपद्रव मचा रहे उन युवको को दौड़ा दौड़ा कर पीटा। इस कारण घाट पर थोड़ी देर आफरा तफरी का मौहोल रहा। घटना की सूचना प्राप्त होते ही हरकी पैड़ी चौकी इंचार्ज अरविंद रतूड़ी घाट पर पहुंचे। इसके बाद पुलिस द्वारा हुड़दंग और अभद्रता करने वाले छह युवकों को गिरफ्तार कर लिया।
यह गंगा के घाट के निकट होने वाली हुड़दंग की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पूर्व भी गंगा तट के निकट अश्लील डांस और शराब पीकर अमर्यादित व्यवहार की घटनाओ ने गंगा पर आस्था रखने वाले श्रद्धालुओ के मन को पीड़ा पहुंचाई है। जिस गंगा तट पर मानव अपना सबकुछ त्याग कर माँ गंगा की अनंत गहराइयों में समा जाता है, वहां उस दैवीय स्थान पर तुक्ष्य मानव का धन बल का प्रदर्शन कतई उचित नहीं है।
शिव की नगरी ऋषिकेश भी धार्मिक और अध्यात्म के मूल स्वरुप से परिवर्तित होकर धीरे धीरे साहसिक पर्यटन और जल क्रीड़ा केंद्र बनता जा रहा है। हालाँकि साहसिक पर्यटन और अन्य गतिविधयों से स्थानीय लोगो को रोजगार मिलता है, परन्तु अगर आज हिन्दू धर्म के आस्था के प्रतीक नगरों में धार्मिक पर्यटन और साहसिक पर्यटन के बीच विभाजन की रेखा नहीं खींच पाए तो आने वाली पीढ़ियों को इन धार्मिक नगरों का अन्यत्र ही स्वरुप देखने को मिलेगा।