देवभूमि उत्तराखंड (Uttarakhand) में स्थित अपनी अलग संस्कृति, पहनावा और पौराणिक लोक संस्कृति के लिए देश भर में प्रसिद्ध जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर बदलते दौर में भी अपनी पहचान को कायम रखा है। विवाह संस्कार , तीज त्योहार, रहन सहन और खान पान शैली के चलते इस क्षेत्र को लोक संस्कृति के लिए जाना जाता है।
अपनी इसी पौराणिक पहचान की सुरक्षा के लिए लोक पंचायत जौनसार बावर के सदस्यों द्वारा जिलाधिकारी से भेंट कर जौनसार बावर क्षेत्र में अवैध रूप से रह रहे बाहरी लोगो का सत्यापन कर उन्हें क्षेत्र से बाहर निकलने की मांग की है।
बीते शुक्रवार जौनसार बावर लोक पंचायत के सदस्य भारत चौहान के नेतृत्व में देहरादून के जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव से मुलाकात कर कहा, कि भारत सरकार के गजट नोटिफिकेशन साल 1967 के अंतर्गत जिला देहरादून के जौनसार बावर क्षेत्र को विशिष्ट परंपरागत संस्कृति के आधार पर पूर्ण जौनसारी जनजातीय इलाका घोषित किया गया था।
जौनसार बावर लोक पंचायत के सदस्यों ने कहा कि पिछले कुछ वर्षो में जौनसार बावर जनजातीय क्षेत्र में बाहरी लोगो द्वारा आरक्षित वर्ग के निवासियों कि भूमि में अतिक्रमण किया जा रहा है। अवैध रूप से रह रहे बाहरी नागरिको द्वारा भूमि पर कब्ज़ा किया जा रहा है। लोक पंचायत के सदस्यों ने कहा कि इस प्रकार की अवैध गतिविधयों को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जायेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बाहरी क्षेत्र के लोगो के बसने और रोजगार के लिए पलायन के चलते आने वाले समय में बड़ा डेमोग्राफी बदलाव देखने को मिल सकता है। देहरादून के सीमांत क्षेत्र से जुड़े जौनसार जनजाति क्षेत्र में एक बाहरी लोगो की आबादी के कारण जनसंख्या में बहुत अधिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है।