उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में निवास कर रहे कैबिनेट मंत्री, जिला प्रशासन और वरिष्ठ पुलिस अफसरों के घरो तक में पीने लायक पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है। सोसाइटी ऑफ़ पोल्युसन एंड एन्वायरमेंट कन्जर्वेसन साइंसटिस्ट (स्पैक्स ) की सर्वे में यह चौंकाने वाला सच सामने आया है।
बीते शुक्रवार को राजधानी देहरादून (Dehradun) के प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए स्पैक्स संस्था के सचिव डॉ बृजमोहन शर्मा द्वारा बताया गया, कि इस वर्ष स्पैक्स संस्था द्वारा जन – जन को शुद्ध जल अभियान के अंतर्गत देहरादून के 125 स्थानों से पीने के पानी के 125 नमूने एकत्रित किये गए।
उन्होंने बताया कि एकत्रित किये गए नमूनों में से लगभग 94 फीसदी नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे। ज्यादातर स्थानों पर क्लोरीन की अधिकता पायी गयी, तो कही फीकल कालीफॉर्म और कठोरता की वजह से पानी पीने लायक नहीं है। 125 नमूनों में से महज सात स्थानों पर क्लोरीन की मात्रा मानकों के अनुरूप थी।
स्पैक्स संस्था द्वारा बताया गया, कि कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज,गणेश जोशी,विधायक खजानदास नगर निगम महापौर सुनील उनियाल गामा, जिलाधिकारी सहित एसएसपी और देहरादून के अन्य आम और खास व्यक्तियों के घरो में आने वाले पानी में सामान्य से पांच गुना अधिक क्लोरीन की मात्रा पायी गयी है।
दरअसल 100 मिली लीटर पानी में ज्यादा से ज्यादा 10 एमपीएन अर्थात मोस्ट प्रोबेबल संख्या में ही मिलना चाहिए। इसके साथ ही पेयजल में फीकल कालीफॉर्म बिलकुल भी नहीं होना चाहिए। देहरादून के जल में कठोरता है। परन्तु इसकी गुणवत्ता में सुधार के लिए किसी भी स्तर पर कोई कार्य नहीं हो रहा है। पानी की गुणवत्ता सुधारने के लिए जमकर क्लोरीन का प्रयोग हो रहा है। जो मानव शरीर के लिए बेहद खतरनाक है।