सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते मंगलवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय में एक तलाक मांगने वाले व्यक्ति को कहा, कि वह व्यक्ति अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है,परन्तु अपने बच्चों को तलाक नहीं दे सकता। माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा व्यक्ति को उसके तलाक प्रकरण के समाधान के अंतर्गत छह हफ्ते के भीतर चार करोड़ रुपए जमा करने का आदेश भी दिया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा संविधान के अनुच्छेद 142 के अंतर्गत अपनी शक्तियों का भी उपयोग करते हुए वर्ष 2019 से अलग रह रहे दंपति को आपसी सहमति से तलाक की मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही कीमती आभूषण और रत्न का व्यापार करने वाले मुंबई के इस व्यक्ति को चार करोड़ रुपये की समझौता राशि जमा कराने के लिए छह हफ्ते का समय दिया है।
इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान व्यापारी पति के अधिवक्ता ने कोरोना आपदाकाल में हुए व्यापार में हानि की दशा में चार करोड़ की समझौता धनराशि देने के लिए कुछ और वक्त की मांग की थी। किन्तु इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, कि आपने स्वयं समझौते में अपनी रजामंदी दी है, कि तलाक की डिक्री वाले दिन आप 4 करोड़ रुपये कि धनराशि का भुगतान करेंगे। वर्तमान में यह वित्तीय बाधा का तर्क देना उचित नहीं होगा, क्योंकि समझौता वर्ष 2019 में हुआ था और उस वक्त देश में कोई महामारी नहीं थी।
सुप्रीम कोर्ट कि बेंच द्वारा कहा गया, कि आपने स्वयं समाधान समझौते के समय सहमति जताई थी, कि जिस दिन आपको तलाक का निर्देश मिलेगा, आप उसी दिन महिला को चार करोड़ रुपये समझौता राशि के रूप में दे देंगे। किन्तु अब वित्तीय हानि की दलील उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कि आप पत्नी को तलाक दे सकते हो, लेकिन बच्चों को नहीं। उनके देखभाल के खर्चे की जिम्मेदारी आपको उठानी होगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तलाक मांगने वाले व्यक्ति को आदेश दिया,कि वह एक करोड़ रुपये की धनराशि एक सितंबर 2021 तक और बाकी के तीन करोड़ रुपए 30 सितंबर 2021 तक प्रदान करे।