देवभूमि उत्तराखंड में स्थित भारत के सबसे ऊँचे और विशालकाय टिहरी बाँध के पास लैंड जिहाद का प्रकरण सामने आया है। पर्यटन विभाग की जमीन पर अवैध कब्जा कर टिनशेड में मस्जिद संचालित करने को लेकर हिंदू संगठनों ने इस मुद्दे पर भारी विरोध दर्ज किया है। न्यूज मिडिया रिपोर्टस के अनुसार, जिस भूमि पर टीनशेड डालकर अवैध मस्जिद का निर्माण किया गया है, वह जमीन पर्यटन विभाग की है। लेकिन विभाग ने इस मामले में अपनी आँखे बंद कर रखी है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, वर्ष 2000 के दशक में पुराणी टिहरी नगर के जलसमाधि से पूर्व विस्थापन प्रक्रिया के तहत खांडा -खाला कोटी कॉलोनी में डैम साइट पर एक अवैध मस्जिद का निर्माण किया गया। टिहरी बांध निर्माण के समय बाँध परियोजना में कार्य करने वाली जेपी कंपनी ने मुस्लिम मजदूरों के लिए एक अस्थाई मस्जिद का निर्माण किया था। टिहरी बांध परियोजना में कार्य पूरा होने के बाद जेपी कंपनी के कर्मचारी लौट गए, किन्तु अस्थाई मस्जिद को उस स्थान से नहीं हटाया गया।
ऑपइंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जैसे-जैसे समय व्यतीत होता गया, प्रशासन ने अवैध मस्जिद के आसपास की अस्थाई दुकानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें हटा दिया। लेकिन अवैध मस्जिद को हटाने के लिए प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी। हिन्दू संगठन विश्व हिंदू परिषद एवं बजरंग दल और स्थानीय भाजपा नेताओं द्वारा भी कई बार मस्जिद को हटाने का प्रयास किया, लेकिन आज भी स्थानीय समाज और तमाम हिन्दू संगठन के भारी विरोध के बाबजूद भी स्थिति जस की तस है।
टिहरी डैम पर अवैध बना दी गयी मस्जिद को हटाने की माँग करते स्थानीय युवा, पुष्कर धामी जी देवभूमि को दानव ग्रसित कर रहा है, अधिकारियों पर दबाव बनाइये। pic.twitter.com/HZGurgWgNw
— Gopal Goswami (@igopalgoswami) September 26, 2021
बीजेपी के जिला मीडिया प्रभारी डा. प्रमोद उनियाल ने कहा, कि लगभग तीस वर्ष पूर्व टिहरी बांध परियोजना में कार्य करने वाले कुछ मुस्लिम श्रमिकों ने दोपहर की नमाज अदा करने के लिए टिहरी झील के निकट दोबाटा क्षेत्र में एक स्थान को चुना। साल 2006 में टिहरी शहर के जलसमाधि लेने के साथ ही झील में पानी भरने के साथ ही यह स्थान भी पानी में डूब गया।
इसके बाद उन श्रमिकों ने नमाज अदा करने के लिए खांडा-खाला के नजदीक नए ठिकाने की तलाश की। कुछ दिन तक वो मुस्लिम श्रमिक खुले में नमाज अदा करते रहे ,लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने चुपचाप बिना अनुमति के उस स्थान पर टिन शेड डालकर अवैध मस्जिद बना ली। इस बीच इस अवैध मस्जिद का विस्तार कर उसके बराबर में एक और टिनशेड का निर्माण कर डाला। अब इस स्थान पर कुछ बाहरी लोग भी आकर रहने लगे है।
स्थानीय निवासियों के अनुसार प्रत्येक शुक्रवार को सैकड़ों की संख्या में मुसलमान इस मस्जिद में नमाज अदा करने पहुंच जाते है। नमाज अदा करने के बाद वो लोग सड़क पर ही जमघट लगाकर बैठ जाते है। अवैध मस्जिद के नजदीक स्थित कॉलेज की छात्राएं और सड़क से गुजरने वाली स्थानीय महिलाओं के साथ विशेषतौर पर शुक्रवार के दिन उस इलाके से उत्पीड़न और छेड़छाड़ के मामले सामने आए है। स्थानीय निवासियों द्वारा प्रशासन से कई बार शिकायत करने के बाद भी प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने से स्थानीय जनता के बीच आक्रोश व्याप्त है।
सुरक्षा की दृष्टि से बेहद सवेंदनशील क्षेत्र टिहरी बांध के नजदीक अवैध मस्जिद से कुछ ही मीटर की दूरी पर CISF बेस है, जिनके ऊपर बाँध की सुरक्षा का जिम्मा है। लेकिन इन सब के बाबजूद पर्यटन विभाग पर अतिक्रमण करने वालो के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गयी है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, अवैध मस्जिद में रहने वाले अधिकतर लोग बाहरी है।
टिहरी झील के नजदीक खांडा – खाला क्षेत्र में अवैध मस्जिद के अस्थायी निर्माण को अतिक्रमण मानते हुए जिला प्रशासन ने कुछ समय पूर्व इसे हटाने के आदेश जारी किये थे। लेकिन इस आदेश पर अमल से पहले ही मामला राज्य अल्पसंख्यक आयोग तक पहुंच गया। तब से इस प्रकरण पर गतिरोध बना हुआ है। जिलाधिकारी इवा श्रीवास्तव द्वारा इस प्रकरण के संबंध में मीडिया को बताया, कि टिहरी बांध के पास खांडखाला में विवादित स्थल का मामला अल्पसंख्यक आयोग में विचाराधीन है। आयोग द्वारा निर्देश प्राप्त होने के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।