जीवन में आने वाले संघर्ष एक कसौटी के सामान होने है, जिससे जीवन काल के दौरान आने वाली समस्याओं का निदान होता है, और जिसके अंत में विजय का द्वार खुल जाते है। किशोर अवस्था में अपना पेट पालने के खातिर राम लीला के आयोजन के दौरान आजाद मैदान में गोलगप्पे और फल बेचने वाले यशस्वी जायसवाल ने एक ऐसा ही उदाहरण प्रस्तुत करते हुए काफी कड़े संघर्ष के बाद एक मुकाम हासिल किया है।
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) जिसकी शुरुवात बीसीसीआई ने वर्ष 2008 में की थी, इस लीग ने कई नए खिलाड़ियों को मौका देकर उनकी किस्मत बदली है। भारतीय युवा क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल उन्हीं खिलाड़ियों में से एक है, जो एक वक्त किशोरावस्था में पेट भरने के लिए मुंबई के आजाद मैदान में गोलगप्पे बेचा करते थे। आज वही राजस्थान रॉयल्स की ओर से इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में खेलते है, और एक सीजन के लगभग 2.4 करोड़ रुपये लेते है।
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तीसरे सेशन में भारत के पीयूष चावला रहे सबसे महंगे. चेन्नई ने उन्हें 6.75 करोड़ रुपये में खरीदा. जबकि 17 साल के यशस्वी जायसवाल को 2.4 करोड़ रुपये में राजस्थान ने अपना बनाया. https://t.co/TyieAubeMA pic.twitter.com/JQiKVLO3Io— ABP News (@ABPNews) December 19, 2019
हालांकि मूलरूप से उत्तरप्रदेश के भदोही के रहने वाले यशस्वी जायसवाल के लिए इस मुकाम तक की यात्रा इतनी आसान नहीं थी। अपने आप को साबित करने के लिए उन्हें अपने जीवन में कड़े संघर्षों के दौर से गुजरना पड़ा था। मात्र दस वर्ष की आयु में उत्तर प्रदेश के भदोही इलाके से निकलकर भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों के बीच अपनी पहचान बनाने के सफर के दौरान उन्हें कई चुनौतियो का सामना करना पड़ा,लेकिन इरादे के पक्के यशस्वी अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहे और निरन्तर अपने खेल को निखारने का प्रयास करते रहे।
वर्ष 2020 के अंडर 19 वर्ल्ड कप के दौरान यशस्वी जायसवाल का नाम नजर में आया। यशस्वी जायसवाल ने अंडर-19 वर्ल्ड कप 2020 में 400 रन बनाए, जिसमें एक शतक और 4 अर्धशतक शामिल था। यशस्वी जायसवाल को अपने इस बेहतरीन खेल प्रदर्शन के लिए ‘मैन ऑफ द टूर्नामेंट’ भी चुना गया था। इसके बाद जब यशस्वी जायसवाल ने घरेलु क्रिकेट के दौरान विजय हजारे ट्रॉफी के एक मैच में झारखंड के विरुद्ध 154 गेंदों में 203 रनों की तूफानी पारी खेली थी, तो वह क्रिकेट जगत की खबरों में सुर्खिया बन गए थे।
पानी पूरी विक्रेता पिता के बग़ल में खड़ा युवक भारत का नया क्रिकेट स्टार है।
यशस्वी जायसवाल।
कल U-19 के विश्व कप में इसने एक सेन्चूरी जड़ी और पाकिस्तान हारा।
क्रिकेट अब रईसों का खेल नहीं रहा।मध्यम वर्ग और मेहनत-मशक़्क़त करनेवाले समान्य घरों के बच्चे भी पिच पर चमकने लगे हैं।
सलाम। pic.twitter.com/5oCRWB0LMp— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) February 5, 2020
आजाद मैदान में अक्सर होने वाले मैचों में बॉल के खो जाने पर बॉल खोजने का जिम्मा यशस्वी को दिया जाता था, जिसके बदले उन्हें कुछ रुपये मिल जाते थे। एक रोज जब आजाद मैदान में यशस्वी खेल रहे थे, तो उस समय कोच ज्वाला सिंह की नजरें यशस्वी जायसवाल पड़ीं। यशस्वी जायसवाल के कोच स्वयं भी उत्तर प्रदेश से आते है।
क्रिकेट कोच ज्वाला सिंह की कोचिंग निर्देशन में यशस्वी जायसवाल के टैलेंट को एक नयी धार मिली। यशस्वी जायसवाल भी अपने कोच के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए कहते है, कि आज मैं जिस मुकाम पर हूँ, वहा तक लाने में मेरे कोच ज्वाला सिंह का अहम योगदान है। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले भारत रत्न सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर और यशस्वी जायसवाल दोनों बहुत अच्छे मित्र है। पहली ही मुलाकात में सचिन तेंदुलकर यशस्वी से इतने प्रभावित हुए, कि उन्होंने यशस्वी को अपना बल्ला उपहार स्वरुप दे दिया था।