देवभूमि उत्तराखंड में शरदकालीन और साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए ऋषिकेश से चारधाम तक पुराने मार्गो की खोज की जाएगी। इस प्रक्रिया के लिए राज्य सरकार ने बाकायदा तैयारियां प्रारंभ कर दी है। खबरों के अनुसार, लगभग बारह सौ किमी लंबे पैदल मार्ग की रुपरेखा तैयार करने के लिए पहली बार 12 सदस्यीय दल को सर्वे के लिए भेजा जा रहा है।
The initiative, backed by the #Uttarakhand government, is aimed at promoting adventure tourism during the winter months in the hill state.
— Deccan Herald (@DeccanHerald) October 25, 2021
राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा सोमवार को चारधाम यात्रा के प्राचीन मार्गों की तलाश के लिए 25 सदस्यों के दल को बधाई देते हुए यात्रा पर रवाना किया। सीएम धामी ने इस दौरान कहा, कि यह अत्यंत गर्व का समय है, कि आज हमारे पास देवभूमि उत्तराखंड की प्राचीन पगडंडियों की खोजबीन के लिए एक युवा शक्ति मौजूद है। यह कदम हमारी पुरातन वैदिक संस्कृति को संरक्षित करने में एक महत्वपूर्ण निर्णय साबित होगा।
उल्लेखनीय है, कि प्राचीन काल से चारधाम यात्रा का प्रारंभ ऋषिकेश से पैदल मार्ग से होती थी। दशकों पहले सड़क यातायात मार्ग की सुविधा नहीं होने की वजह से तीर्थ यात्री पगडंडियों वाले मार्गः से बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में दर्शन हेतु पहुंचते थे। तीर्थयात्रा के दौरान रात्रि विश्राम के लिए पैदल मार्गः में चट्टियां हुआ करती थी।
वर्तमान समय में पैदल मार्ग की पगडंडिया सड़क मार्ग की आधुनिक सुविधा के कारण लुप्त हो गये है। राज्य में शरदकालीन और साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में संभावना को देखते हुए राज्य सरकार और पर्यटन विभाग ने चारधाम के इस पुराने पगडंडियों वाले रास्ते को संवारने का निर्णय लिया है।
राज्य सरकार और पर्यटन विभाग के संयुक्त प्रयास के तहत दिव्य चारधाम के पैदल मार्ग की खोज के लिए एक प्रशिक्षित दल को भेजा जा रहा है। जिसका कार्य सम्पूर्ण प्राचीन मार्ग का अध्ययन कर एक-एक जानकारी जुटाना है। खोज पर जाने वाला दल पचास दिन के भीतर तकरीबन
बारह सौ किमी लंबे प्राचीन मार्ग का पता लगाएगी। इस विशेष दल में पर्यटन, एसडीआरएफ और पर्वतारोही के विशेषज्ञ शामिल किए गए है। इसके अलावा दल के सदस्यों के पास जीपीएस सिस्टम भी एक्टिव रहेगा। जिससे दल की लोकेशन का पता किया जाएगा।