सोमवार (8 नवम्बर 2021 ) को देश की राजधानी नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा हैस्को प्रमुख पर्यावरणविद डॉ.अनिल प्रकाश जोशी को पद्मभूषण, जबकि मैती आंदोलन के प्रणेता कल्याण सिंह और डॉ.योगी एरन को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। दरअसल वर्ष 2020 और 2021 में कोरोना संक्रमण के कारण दोनों साल के पद्म विजेताओं को संयुक्त रूप से सम्मानित किया गया।
देवभूमि उत्तराखंड राज्य की पांच प्रमुख हस्तियों को इस साल पद्म पुरस्कारों से नवाजा जा रहा है। सोमवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पर्यावरणविद डॉ.अनिल प्रकाश जोशी को पद्मभूषण,पर्यावरणविद कल्याण सिंह और डॉ.योगी एरन को सम्मानित किया गया, जबकि मंगलवार को चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए डॉ.भूपेंद्र कुमार सिंह और कृषक प्रेम चंद शर्मा को पद्श्री सम्मान देकर सम्मानित किया जाएगा।
हैस्को संस्था के संस्थापक पद्मश्री डॉ.अनिल प्रकाश जोशी को पर्यावरण पारिस्थितिकी और ग्राम्य विकास से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों और उत्तराखंड की नदियों के सरंक्षण के लिए चलाए जा रहे अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2006 में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उनके भगीरथ प्रयासों के चलते डॉ.अनिल प्रकाश जोशी को पूर्व दिवंगत राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा सोमवार को हैस्को संस्था के संस्थापक पद्मश्री डॉ.अनिल प्रकाश जोशी को पद्मभूषण सम्मान प्राप्त करने के उपलक्ष्य में अपने ट्विवटर सन्देश में कहा, कि आज माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद जी द्वारा उत्तराखण्ड के हैस्को प्रमुख डॉ.अनिल प्रकाश जोशी जी को पद्मभूषण सम्मान से अलंकृत किये जाने पर समस्त प्रदेशवासियों की ओर से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
आज माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद जी द्वारा उत्तराखण्ड के हैस्को प्रमुख डॉ.अनिल प्रकाश जोशी जी को पद्मभूषण सम्मान से अलंकृत किये जाने पर समस्त प्रदेशवासियों की ओर से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।@rashtrapatibhvn#PeoplesPadma pic.twitter.com/8GVLKxisvQ
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 8, 2021
वहीं मैती आंदोलन के प्रणेता जीव विज्ञान के सेवानिवृत प्रवक्ता कल्याण सिंह रावत को भी सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। चमोली जनपद के कर्णप्रयाग क्षेत्र के मूल निवासी कल्याण सिंह रावत वर्तमान समय में राजधानी देहरादून के नथुवावाला में निवास कर रहे है।
पर्यावरणविद कल्याण सिंह रावत द्वारा वर्ष 1995 में चमोली जिले स्थित ग्वालदम क्षेत्र से मैती आंदोलन की शुरुआत की थी। इस दौरान वह उस क्षेत्र के स्कूल में जीव विज्ञान के शिक्षक रूप में तैनात थे। पर्यावरण के प्रति चिंतित कल्याण सिंह रावत के मन में विवाह आयोजन के दौरान वृक्ष रोपने के अभियान को आरंभ करने का विचार आया। उनके इसी भगीरथ प्रयास के फलस्वरूप कर्णप्रयाग इलाके में पांच-पांच हेक्टेयर के बांज के दो हरे-भरे जंगल विकसित किए जा चुके है।
उल्लेखनीय है, कि पर्यावरणविद कल्याण सिंह रावत द्वारा आरंभ मैती आंदोलन के अंतर्गत गांव में जब किसी युवती का विवाह होता था, तो विदाई के वक्त नवविवाहित दंपति को एक फलदार वृक्ष का पौधा दिया जाता है। सनातन वैदिक मंत्रों उच्चारण के साथ दूल्हा इस पौधे को भूमि पर रोपित करता था, और दुल्हन इसे जल से सींचती थी।
वृक्ष को लगाने के बदले दूल्हे की तरफ से दुल्हन की सहेलियों को कुछ धन दिया जाता था। जिसका इस्तेमाल पर्यावरण संरक्षण के साथ ही निर्धन बच्चों के शिक्षा दीक्षा के लिए किया जाता था। इस अभियान में दुल्हन की सहेलियों को मैती बहन कहा जाता है। जो भविष्य में उस वृक्ष की देखभाल का जिम्मा संभालती थी।