सनातन हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले घरो में आज भी नए वाहन के आगमन पर, नए कम्प्यूटर की खरीद पर, बहीखातों पर और अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों के अवसरो पर एक चिह्न का प्रयोग किया जाता है, यह चिह्न शुभ लाभ और सुख समृद्धि का प्रतीक है, जिसे हम स्वस्तिक चिह्न के रूप में जानते है। लेकिन क्या आपको पता है, कि हिंदू धर्म में दिव्य और पवित्रता के इस प्रतीक चिह्न को दुनिया के अधिकतर लोग घृणा के रूप में देखते है।
आखिर क्यों हिंदू धर्म के इस पवित्र स्वस्तिक चिह्न को तानाशाह हिटलर के साथ जोड़ा जाता है, और क्यों दुनिया के लोग इस चिह्न को नफरत और हिंसा का प्रतीक मानते है? कैसे हिटलर ने लगभग 60 लाख यहूदियों को इस चिह्न के नीचे मौत के घाट उतार दिया, और सबसे बड़ा सवाल है, कि इसमें कितनी सत्यता है? इन सभी सवालो का विस्तृत रूप में विश्लेषण करने वाली एक डॉक्यूमेंट्री “The Silence of Swastika” को तीन दिन पहले YouTube पर रिलीज किया गया है।
YouTube चैनल पर ‘आज की ताजा खबर (AKTK)’ ने एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म के माध्यम से ‘स्वस्तिक’ चिह्न’ को लेकर खुलासे में कहा है, कि किस प्रकार जुलाई 2020 में अमेरिका में ब्रैंडिस यूनिवर्सिटी की तत्कालीन छात्र संघ प्रमुख सिमरन टाटस्कर ने जब ‘स्वस्तिक’ को विश्वविद्यालय के कोर्स में शामिल करने की माँग की, तो उन्हें माफ़ी माँगने के लिए मजबूर किया गया और इसी प्रकार अधूरे ज्ञान के चलते ‘जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी’ ने भी ‘स्वस्तिक’ प्रतीक चिह्न को यूनिवर्सिटी में बैन कर दिया।
Please watch “the Silence of Swastika” immediately if you have not already https://t.co/RkwaW6NpPw pic.twitter.com/p16wlyVKUo
— Aaj Ki Taza Khabar (youtube channel) (@AKTKadmin) December 31, 2021
AKTK चैनल द्वारा बनाई गयी इस बेहतरीन डॉक्यूमेंट्री में पश्चिमी मीडिया की इस दूषित धारणा का सूक्ष्मता के साथ पोस्टमॉर्टम किया गया है, जिसमें वो ‘स्वस्तिक’ को नाजी जर्मन हिटलर और उसके द्वारा किये गए सामूहिक नरसंहार से जोड़ कर देखते है। “The Silence of Swastika” डॉक्यूमेंट्री में ‘शांति के चिह्न’ को ‘शैतान का प्रतीक’ के रूप में प्रस्तुत करने वालों की पोल खोलते हुए इसका उत्तर खोजने का भगीरथ प्रयास किया गया है, कि क्या वास्तव में हिटलर ने जिस चिह्न का इस्तेमाल किया था, वो ‘स्वस्तिक’ ही था ?
इस डॉक्यूमेंट्री में विशेषज्ञों ने जानकारी देते हुए बताया है, कि किस तरह हिटलर भारत की ब्रिटिश गुलामी का पक्षधर था, और जिस प्रकार ब्रिटिश शासन अपने 40 हजार सैनिकों के संख्याबल के आधार पर 40 करोड़ हिन्दुस्तानियों पर राज कर रहे थे। उसी रणनीति के तहत हिटलर यूरोप के देशो पर राज करना चाहता था।
हिटलर की आत्मकथा पुस्तक में लिखे अंश को रेखांकित करते हुए यह बताया गया है, कि ‘Hakenkreuz’ शब्द का हिटलर ने कई बार इस्तेमाल किया है, और गूगल ट्रांसलेट इसका अर्थ ‘स्वस्तिक’ बताता है। वहीं इस शब्द को अलग करने पर इसका अनुवाद ‘Hooked Cross’ आता है। ऐसे में हिटलर के कट्टर ईसाई संबंध की पोल खोलते हुए डॉक्यूमेंट्री में यह बताया गया है, कि आखिर ‘Hooked Cross’ कैसे ‘स्वस्तिक’ बन गया ?
YouTube चैनल ‘AKTK Documentary’ पर रिलीज हुई, इस “The Silence of Swastika” डॉक्यूमेंट्री में यह जानकारी दी गयी है, कि किस प्रकार वर्ष 1871 में पहली बार अंग्रेजी में ‘स्वस्तिक’ शब्द का उपयोग किया गया था, जबकि ट्रॉय के युद्ध के अवशेषों की खुदाई में ऐसे चिह्न पूर्व में मिल चुके थे। इसके साथ ही ग्रीक संस्कृति में भी ऐसे चिह्न मिले है। ये चिह्न एक ईसाई चिह्न था, जिसके लिए प्राचीन पुस्तकों में ‘Gammadion’ शब्द का प्रयोग मिलता है।
“The Silence of Swastika” डॉक्यूमेंट्री का मकसद इस बात का विश्लेषण करना है, कि नाजी जर्मन तानाशाह हिटलर द्वारा इस्तेमाल किया चिह्न वास्तव में स्वस्तिक है, ही नहीं, जिसे पूरा पश्चिमी मीडिया स्वस्तिक से जोड़ कर देखती है, और इस चिह्न से नफरत करती है। एक ज्वलंत मुद्दे पर बनी इस डॉक्यूमेंट्री में अपनी बात रखने के लिए डॉक्यूमेंट्री बनाने वालो ने जो प्रशंसनीय शोध कार्य किया है, वह बेहद सराहनीय है।
कुल मिलाकर यदि “The Silence of Swastika” डॉक्यूमेंट्री की एकाध सूक्ष्म तकनीकी खामियों को छोड़ दिया जाये, तो यह डॉक्यूमेंट्री अपने जबरदस्त शोध कार्य के बलबूते पचास मिनट तक की दर्शको को बांधे रखने में सफल रहती है। निसंदेह “The Silence of Swastika” नामक इस डॉक्यूमेंट्री ना सिर्फ स्वस्तिक बल्कि भारतीय इतिहास और विश्व इतिहास को भी रेखांकित किया गया है। यह डॉक्यूमेंट्री अध्यनरत छात्र और समाज के अन्य वर्ग के नागरिक अपने ज्ञानवर्धन के लिए अवश्य देखें।