स्वामी विवेकानंद के अमूल्य विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक है, जितने भूतकाल में थे। राष्ट्र निर्माण के उद्देश्य के लिए सर्वस्व त्याग करने वाले स्वामी विवेकानंद द्वारा सदैव राष्ट्र के गौरव और स्वाभिमान को प्राथमिकता में रखा। यही वजह है, कि (12 जनवरी) राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में समर्पित है।
महिलाओं को शिक्षित किये बगैर राष्ट्र की उन्नति संभव नहीं
स्वामी विवेकानंद की दिव्य दृष्टि भारत के भविष्य को देख रही थी। स्वामी जी के विचार में जिस दिन भारतीय चेतना के स्तर पर अपनी महान संस्कृति को समझेंगे, उसके बाद प्रत्येक लक्ष्य को प्राप्त करना सरल हो जायेगा। स्वामी विवेकानंद द्वारा इस विचार को मन की गहराई से समझा, कि जब तक महिलाओं की आबादी को शिक्षित नहीं किया जायेगा, तब तक देश की उन्नति और कोई भी सामाजिक क्रांति संभव नहीं है।
जन्मभूमि के महत्व को समझे युवा
स्वामी विवेकानंद द्वारा भारतीय युवाओं से आह्वान किया, कि उस पुण्यभूमि का महत्व समझें, जिस भूमि में उन्हें जन्म लेने का गौरव प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा था, कि राष्ट्र की पहचान तभी तक है, जब तक वह राजनीतिक तौर पर स्वतंत्र है। स्वामी जी का मानना था, कि भले ही यूरोपीय देशो की ताकत उनकी राजनीती है, किन्तु भारतीय समाज की ताकत उनके धर्म के विराट स्वरुप में है।
शिकागो विश्वधर्म सम्मलेन में दिए भाषण का अंश
11 सितंबर 1893 में शिकागो विश्वधर्म सम्मलेन को संबोधित करते हुए स्वामी विवेकानंद द्वारा कहा गया था, कि मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गौरव का अनुभव करता हूँ, जिसने विश्व को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृति, दोनों की शिक्षा प्रदान की। मुझे एक ऐसे राष्ट्र का नागरिक होने का अभिमान है, जिसने इस धरती के समस्त मजहबों के उत्पीड़ितों और शरणार्थियों को आश्रय दिया।
स्वामी विवेकानंद द्वारा कहा गया, कि सांप्रदायिक, हठधर्मिता और उनके वीभत्स वंशजो ने इस सौन्दर्यवान पृथ्वी पर एक लंबे समय तक शासन किया है। ये शक्तियां अनेकों बार पृथ्वी को मानवता के रक्त से स्नान करवा चुकी है। ये वीभत्स शक्तियां राष्ट्र को निराशा के गर्त में डालती रहती है। यदि पृथ्वी पर यह वीभत्स दानव ना होते, तो आज की अवस्था से मानव समाज कहीं अधिक उन्नत हो गया होता, लेकिन अब उनका समय समाप्त होने वाला है।
कई दिग्गज नेता स्वामी जी के विचारों से प्रभावित थे
स्वामी विवेकानंद के विचारो से लोकमान्य तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गाँधी और जवाहर लाल नेहरू जैस दिग्गज नेता भी अत्यधिक प्रभावित थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा स्वामी विवेकानंद के विषय में कहा था, कि जो व्यक्ति उनके संपर्क में आया है, अथवा जिन लोगो ने उनके लेख पढ़े है, उनमे स्वतः राष्ट्रभक्ति और राजनीतिक चेतना जाग्रत हो गई।