कर्नाटक राज्य से उपजे हिजाब विवाद ने पूरे देश में सियासी रंग ले लिया है। कर्नाटक हाईकोर्ट में फैसला आने तक शैक्षिणिक संस्थानों में हिजाब, भगवा गमछा या धार्मिक पहचान वाले किसी भी परिधान के पहनने तक रोक लगा दी है। वहीं इसी बीच एक लॉ स्टूडेंट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राष्ट्र के सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए समान ड्रेस कोड लागू करने की अपील की है। याचिका में अपील की गयी है, कि राष्ट्र में समानता और लोकतांत्रिक मूल्यों को संरक्षित करने के लिए कॉमन ड्रेस कोड बहुत ही आवशयक है।
PIL by Law Student Nikhil Upadhyay seeking #CommonDressCode for students to promote fraternity dignity unity and national integration among the students@AshwiniUpadhyay @Sanjeevpandeyji @MMMPAWAN @ashwani_dube #HijabRow #Uniform_Civil_Code pic.twitter.com/MhsviTm4CJ
— Ashwani Dubey (@ashwani_dube) February 13, 2022
उल्लेखनीय है, कि सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर करने वाले लॉ स्टूडेंट कोई और नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय के 18 वर्षीय बेटे निखिल उपाध्याय है। निखिल उपाधयाय ने अपनी याचिका में कहा, कि कॉमन ड्रेस कोड ही एक मात्र जरिया है, जिससे जातिवाद, सांप्रदायिकता और अलगाववाद से मुद्दों से निपटा जा सकता है।
याचिकाकर्त्ता निखिल उपाध्याय ने इस प्रकरण की जल्द सुनवाई की माँग करते हुए, सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को इस मुद्दे के समाधान के लिए न्यायिक आयोग की कमेटी के गठन की अपील भी की है। हिजाब का मुद्दा उठाते हुए निखिल ने कहा, कि उदाहरण के तौर पर यदि नागा साधु कभी कॉलेज में दाखिला लेकर अपने धार्मिक परंपराओं का हवाला देते हुए, बिना वस्त्रों के शैक्षिक संस्थान चला जाएगा, तो क्या होगा। याचिका में कहा गया है, कि शैक्षिणिक संस्थान ज्ञान, राष्ट्र निर्माण और रोजगार के साधन होते है, ना कि धार्मिक प्रथाओं का पालन करने के लिए।
कुछ नागा सन्यासी स्कूल में एडमिशन लेने की तैयारी कर रहे हैं और यदि उन्हें स्कूल जाने से रोका गया तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे
— Ashwini Upadhyay (@AshwiniUpadhyay) February 13, 2022
याचिकाकर्त्ता निखिल उपाध्याय ने याचिका में अमेरिका, फ़्रांस, ब्रिटेन, चीन और सिंगापुर जैसे देशों का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए दावा किया, कि इन सभी देशों में कॉमन ड्रेस कोड लागू है औऱ इसे भी भारत में लागू करना होगा। एक समान ड्रेस कोड से समानता और राष्ट्र के लोकतंत्र का ताना-बाना और अधिक शक्तिशाली होगा। याचिका में केंद्र व राज्यों को सभी शिक्षण संस्थानों में ड्रेस कोड लागू करने के लिए आदेश देने की अपील की गयी है।