संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के प्रति भारत के नरम रुख को देखते हुए अमेरिका की तरफ से दबाब बनाये जाने के बावजूद भारत ने रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया। 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का 11 देशों ने समर्थन किया, जबकि मतदान के दौरान भारत, चीन व यूएई अनुपस्थित रहे। प्रारूप प्रस्ताव में यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ निंदा की गई थी और रूस से कहा गया था, कि वह बिना शर्त, तत्काल यूक्रेन छोड़कर वापस लौट जाए। हालाँकि रूस ने वीटो का इस्तेमाल कर सुरक्षा परिषद के इस प्रस्ताव को विफल कर दिया।
भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा
संयुक्त राष्ट्र परिषद में रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने बयान जारी करते हुए कहा, कि भारत का मानना है, कि विवादों को सुलझाने का एक मात्र जरिया बातचीत ही है। रूसी हमले के बाद यूक्रेन में हुई तबाही से भारत बेहद चिंतित है, और भारत को खेद है, कूटनीति के मार्ग को बहुत जल्द छोड़ दिया गया।
In UN Security Council meeting on #Ukraine today, India abstained on the vote on draft resolution.
Our Explanation of Vote ⤵️ pic.twitter.com/w0yQf5h2wr
— PR/Amb T S Tirumurti (@ambtstirumurti) February 25, 2022
हम आग्रह करते है, कि हिंसक गतिविधियों और शत्रुतापूर्ण सांय कार्यवाही को तत्काल समाप्त करने के लिए सभी कदम उठाये जाये। इंसानों की जान की कीमत पर कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता। भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, कि युद्ध से प्रभावित यूक्रेन में फंसे भारतीय समुदाय और छात्रों की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए तिरुमूर्ति ने रूस व यूक्रेन से कूटनीति रास्ते पर लौटने की अपील की।
चीन का बयान पूर्व व पश्चिम का मार्ग बने यूक्रेन
चीन भी रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रारूप प्रस्ताव पर मतदान के दौरान अनुपस्थित रहा। प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि झांग जून ने अपने बयान में कहा, कि एक राष्ट्र की सुरक्षा दूसरे राष्ट्रों की सुरक्षा को कम करने की कीमत पर नहीं आंकी जा सकती है। चीन के प्रतिनिधि ने कहा, कि संयुक्त राष्ट्र परिषद के सभी उद्देश्यों और सिद्धांतों का नियमानुसार पालन करना चाहिए।
अमेरिका ने बनाया था दबाब
उल्लेखनीय है, कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार कर चुके है, कि रूस को लेकर भारत के साथ मुद्दा अभी सुलझा नहीं है। इसलिए भारत पर दबाब बनाने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से सुरक्षा परिषद में मतदान से पूर्व फ़ोन पर बात भी की थी। हालाँकि अमेरिका को यह ज्ञात था, कि रूस इस प्रस्ताव पर वीटो लाएगा, जिससे प्रस्ताव के पारित होने की संभावना नहीं है।