भारतीय हिंदी सिनेमा के दिग्गज फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ आखिरकार शुक्रवार (11 मार्च 2022) को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। नब्बे के दशक में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और पलायन पर आधारित ये फिल्म आपको अंदर से हिला कर रख देगी। निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में पहली बार कश्मीरी हिंदुओ के साथ घटी अमानवीय घटनाओं को परदे पर सच्चाई और सूक्ष्मता के साथ उकेरती है।
#OneWordReview…#TheKashmirFiles: BRILLIANT.
Rating: ⭐️⭐⭐️⭐️½#TheKashmirFiles is the most powerful film on #Kashmir and the genocide and exodus of #KashmiriPandits… Hard-hitting, blunt, brutally honest… JUST DON’T MISS IT. #TheKashmirFilesReview pic.twitter.com/FPnw7OidMK— taran adarsh (@taran_adarsh) March 11, 2022
उल्लेखनीय है, कि एक विशेष समुदाय के तथाकथित विरोध की परवाह ना करते हुए, जो हकीकत निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने इस फिल्म के जरिये दिखाई है, उसके लिए वाकई विवेक अग्निहोत्री प्रशंसा के पात्र है। अनुपम खेर और मिथुन चक्रवर्ती जैसे दिग्गज कलाकारों से सजी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को देखना हर जागरूक हिंदुस्तानी के लिए जरुरी है। फिल्म में दिखाया गया है, कि कश्मीरी हिंदुओ को ना सिर्फ पलायन के लिए प्रताड़ित किया गया, बल्कि एक बड़े पैमाने पर एक समुदाय ने उनका क्रूरतापूर्वक नरसंहार भी किया।
‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म की कहानी है, एक ऐसे कश्मीरी हिंदू युवक कृष्णा पंडित (दर्शन कुमार) की है, जो एक यूनिवर्सिटी में आजादी गैंग के साथ जुड़ जाता है, और उनके साथ मिलकर कश्मीर की आजादी के नारे भी लगाने लगता है। हालांकि कृष्णा को ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह’ के नारे से दिक्कत होती है, लेकिन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर राधिका मेनन (पल्लवी जोशी) उसका ब्रेनवाश कर उसे छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए खड़ा कर देती है।
लेकिन एक दिन उसके दादा पुष्कर नाथ पंडित की मौत के बाद वह उनकी आखिरी इच्छा पूरा करने के लिए के लिए श्रीनगर जाता है। कश्मीर के इतिहास से अनजान कृष्णा धीरे-धीरे अपने परिवार से जुड़ी सच्चाई की खोज में जुट जाता है। इस दौरान उसकी मुलाकात अपने स्वर्गीय दादाजी के चार दोस्तों से होती है, और उनके बीच कश्मीरी हिंदुओ के पलायन और नरसंहार के विषय में चर्चा शुरू होती है, और कहानी पहुंचती है, नब्बे के दशक में।
इसके बाद कहानी उन पांच लाख कश्मीरी हिंदुओ के नरसंहार और उनके कश्मीर छोड़ने की दांस्ता बयां करती है, जिसमें आतंकियों ने कश्मीर की धरती को हिंदू विहीन करने का षड्यंत्र रचा था। हालाँकि फिल्म की कहानी में कृष्णा को यह बताया गया था, कि उसके माता-पिता एक सड़क दुर्घटना में मारे गए थे। फिल्म में दिखाया गया है, कि किस प्रकार कश्मीर की वादियों में आतंकी बंदूकें लेकर खुलेआम घूम रहे थे, और कश्मीरी हिंदुओ को चुन-चुनकर निशाना बना रहे थे। फिल्म में कश्मीरी हिंदुओ पर हुए अत्याचार को देखकर आपकी आत्मा अंदर तक कांप जाएगी।
फिल्म में दिखाया गया है, कि किस प्रकार कृष्णा के पिता को इस्लामिक आतंकियों ने मारने के बाद, उनके खून से सने चावल उसकी मां शारदा को खाने पर मजबूर किया और उसके बाद कृष्णा की मां को आरा मशीन पर रखकर बीच से चीर दिया गया, और उसके बाद उसके भाई की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। फिल्म देखते हुए दर्शको के जेहन में ये सवाल भी कौंधेगा, कि इस नरसंहार का पता चलने के बाद भी तत्कालीन भारत सरकार ने कोई कड़ी कार्यवाही क्यों नहीं की, या फिर उनका इस नरसंहार को मौन समर्थन था?
देखा जाये, तो विवेक अग्निहोत्री ने कई वर्षो तक शोधकर इस फिल्म की कहानी को लिखा है, जो फिल्म में साफ दिखाई देता है। फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे अनुपम खेर ने अपने अभियन से दर्शको का दिल जीत लिया है। वहीं, मिथुन चक्रवर्ती, दर्शन कुमार, पल्लवी जोशी, प्रकाश बेलावड़ी, पुनीत इस्सर, अतुल श्रीवास्तव, चिन्मय मांडलेकर, भाषा सुंबली ने भी अपने किरदारों के साथ न्याय किया है। कुल मिलाकर निर्देशक विवेक अग्निहोत्री फिल्म में तीन किरदारों के जरिए कश्मीरी हिंदुओ की पीड़ा को दिखाने का प्रयास किया है, और जिसमें वे काफी हद सफल भी हुए है।