जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा शनिवार (19 मार्च) को देश की राजधानी नई दिल्ली पहुंच चुके है। जापानी पीएम फुमियो इस दौरान 14वें भारत-जापान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और अपने समकक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट करेंगे। दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच मुलाकात के दौरान रूस-यूक्रेन संकट, चीन और निवेश समेत कई प्रमुख विषयो पर चर्चा होने की संभावना है। इसके अलावा जापान के सागर में रूसी वायु सेना के साथ संयुक्त हवाई अभ्यास और सुलु सागर में फिलीपींस के क्षेत्राधिकार वाले समुद्र में युद्धपोत भेजने के मुद्दे पर भी चर्चा होगी। फुमियो किशिदा 20 मार्च को कंबोडिया के लिए रवाना हो जाएंगे।
भारत और जापान एक्ट ईस्ट फोरम में भी शामिल
भारत और जापान के आपसी रिश्तो की बात करें, तो दोनों राष्ट्रों के बीच रणनीतिक संबंध काफी गहरे है। भारत और जापान वैश्विक स्तर पर स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करते है। दोनों राष्ट्रों के संबंधो का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि पिछले कुछ वर्षो में भारत और जापान के बीच रक्षा, सुरक्षा और क्षेत्रीय संदर्भ में प्रगति हुई है। भारत और जापान एक्ट ईस्ट फोरम में भी शामिल है, जिसको स्थापित करने का निर्णय वर्ष 2017 शिखर सम्मेलन के दौरान लिया गया था। ईस्ट फोरम का लक्ष्य कनेक्टिविटी, वन प्रबंधन, आपदा जोखिम में कमी लाना और निर्माण के क्षेत्र में पूर्वोत्तर भारत में विकास परियोजनाओं का समन्वय करना है।
14th India-Japan Annual Summit to be held in #NewDelhi today. Japanese PM Kishida Fumio is arriving in today;
Japan plans to invest 5 trillion yen ($42 billion) in India over 5 years. @kishida230 may announce this during his talks with @narendramodi. pic.twitter.com/GYQ8ZTRSat— KVS HARIDAS (@keveeyes) March 19, 2022
यूक्रेन की वर्तमान स्थिति पर भी चर्चा
कयास लगाए जा रहे है, कि भारत-जापान शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों राष्ट्राध्यक्ष रूस और यूक्रेन की वर्तमान स्थिति पर भी चर्चा कर सकते है। इसके साथ ही चीन की आर्थिक नीती पर भी बातचीत हो सकती है। उल्लेखनीय है, कि जापान ने रूस को विश्व बिरादरी से अलग-थलग करने के लिए व्यापक वित्तीय प्रतिबंधों का ऐलान किया है, जबकि भारत ने युद्ध में किसी भी देश का पक्ष नहीं लिया, और संयुक्त राष्ट्र सभा में रूस के विरुद्ध मतदान में हिस्सा नहीं लिया है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थितियों के मद्देनजर भारत और जापान के संबंधो को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारत में जापानी निवेश 32 बिलियन डॉलर के स्तर पर
जानकारी के लिए बता दें, कि इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे के बीच वर्ष 2019 में होने वाली मुलाकात को नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के कारण स्थगित करना पड़ा था। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की यात्रा उसी कार्यक्रम का हिस्सा है। बता दें, भारत प्रमुख रूप से जापान में कपड़े, लोहा और स्टील प्रोडक्ट्स, टेक्सटाइल यार्न, पेट्रोलियम उत्पाद, फैब्रिक्स और मशीनरी निर्यात करता है। वहीं प्लास्टिक, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, लोहा और स्टील प्रोडक्ट्स, वाहनों के पार्ट्स, ऑर्गेनिक केमिकल्स और मेटल्स आयात करता है। वर्ष 2000 से लेकर 2019 तक भारत में जापानी निवेश 32 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है।