रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने दुनिया भर के बाजारों की स्थिति बेहद खराब कर दी है। हालाँकि भारत के लिए एक अच्छी खबर यह है, कि भारत को इस जंग का लाभ मिलने जा रहा है। दरअसल वैश्विक बाजार में भारतीय गेंहू की मांग तेजी से बढ़ी है, और जिसका फायदा घरेलू अनाज मंडियों में नजर आने लगा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस और यूक्रेन से सबसे ज्यादा गेहूं का आयात करने वाले देश मिस्र ने अब भारत से गेंहू आयात पर सहमति जता दी है।
उल्लेखनीय है, कि रूस और यूक्रेन गेहूं के प्रमुख निर्यातको के रूप में जाने जाते है। बता दें, इससे 2020 में मिस्र ने रूस से 1.8 अरब डॉलर का और यूक्रेन से 61.08 करोड़ डॉलर के गेहूं का आयात किया था, लेकिन इसी बीच दोनों देशों के बीच छिड़े युद्ध ने भारत को एक विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया है। जानकारी के अनुसार, मिस्र भारत से 10 लाख टन गेहूं का आयात करना चाहता है और अप्रैल में उसे 2,40,000 टन गेहूं की जरुरत होगी।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इस संबंध जानकारी देते हुए ट्वीट किया, भारत गेंहू का ग्लोबल सप्लायर बन सकता है, जिसके लिए वह तैयार है। भारतीय किसान दुनिया का पेट भर रहे है। मिस्र ने भारत को गेहूं आपूर्तिकर्ता के तौर पर मंजूरी दी है। दुनिया सतत खाद्य आपूर्ति के भरोसेमंद वैकल्पिक स्रोत की खोज में है। ऐसे में मोदी सरकार आगे आई है। हमारे किसानों ने भंडारों को भरा रखा और हम दुनिया की सेवा करने के लिए तैयार है।
India, the food security soldier. ??
Egypt has turned to India for its supply of wheat trusting us for quick & quality delivery.
Modi Govt. is leading the response to a surging global demand as our farmers give us an upper hand with a bumper harvest. pic.twitter.com/gFk8bjZ4ky
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) April 15, 2022
भारत ने वैश्विक गेंहू निर्यात बाजार में कदम रखते हुए मिस्र, यमन, अफगानिस्तान, कतर और इंडोनेशिया के बाजारों में जबरदस्त बढ़ोतरी की है। कृषि प्रधान राष्ट्र कहा जाने वाला भारत अपने पड़ोसी देशों को गेहूं का निर्यात करता है। अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 के बीच भारत का गेहूं निर्यात बढ़कर 1.74 अरब डॉलर का हो गया है। पिछले साल इसी समय गेहूं का आयात केवल 34.017 करोड़ डॉलर था, जबकि वर्ष 2019-20 में भारतीय गेहूं निर्यात महज 6.184 करोड़ डॉलर के आसपास था।