हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देवभूमि में कुकुरमुत्तों की तरह बढ़ रही अवैध मजारों पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। इस दौरान सीएम धामी ने उत्तराखंड में अवैध घुसपैठियों और रोहिंग्याओं को चिन्हित करने के सत्यापन अभियान की जानकारी देते हुए कहा था, कि उत्तराखंड राज्य में जो जनसांख्यिकी परिवर्तन देखा जा रहा है, वह अत्यंत चिंतनीय विषय है। किसी भी अवैध अतिक्रमण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जानकारी के लिए बता दें, कुछ ही दिन पहले राजधानी देहरादून के जोगीवाला चौक के निकट कैलाश अस्पताल के सामने बनी मजार पर हिन्दू संगठनों ने जमकर बवाल काटा था। मजार का विरोध कर रहे हिन्दू संगठन के कार्यकर्ताओं ने बड़ा आरोप लागते हुए कहा था, कि सड़क पर अंडे बेचने वाले एक आरोपित ने धीरे-धीरे अपना पूरा कुनबा मज़ार के पास जुटा लिया। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मूल रूप से उत्तर प्रदेश संभल के निवासी खादिम को कुनबे सहित स्थान छोड़ना पड़ा था। इसके बाद मजार के आसपास किये गए अतिक्रमण को भी पुलिस ने हटवाया था। हालाँकि, मजार अभी भी वहीं पर मौजूद है।
उत्तराखंड रक्षा अभियान के संस्थापक वयोवृद्ध संत स्वामी दर्शन भारती ने ऑपइंडिया को बताया, कि वर्ष 1985 के पहले तक उत्तराखंड में एक भी मस्जिद नहीं थी। उत्तराखंड में मुस्लिमों को मनिहारी कहा जाता है, जिनका काम औरतों के साज-श्रृंगार से संबंधित सामान बेचने तक सीमित था। कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा में एक स्थानीय स्वर्णकार ने पहली मस्जिद दया भाव से मनिहारियों को बनाने के लिए दान में दी थी। उन्हें शायद उस वक्त इस बात का आभास नहीं रहा होगा, कि आने वाले वक्त में यहाँ मस्जिदों की बाढ़ सी आ जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार, दया भाव दिखाने वाले उस स्वर्णकार के परिजन आज भी देहरादून में रहते है, जिनके नाम का यहाँ उल्लेख करना उचित नहीं है।
यही दावा वॉइस फॉर इंडिया की फाउंडर और अमेरिकी एक्टिविस्ट रेनी लिनन व कुछ अन्य लोगों ने भी किया है।
उत्तराखंड में पहली मस्जिद 1985 में अल्मोड़ा में बनी जो बहुत ही छोटी सी थी….केवल 36 साल में 1700 मस्जिद हो गयी हैं, देवभूमि हिमालय को कैसे बचाना है, यह समस्त हिन्दू समाज को सोचना होगा…#हिमालय_हमारा_देवालय_है
— Renee Lynn (@Voice_For_India) September 3, 2021
ऑपइंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, स्वामी दर्शन भारती ने बताया, की कत्यूरी वंश के शासन काल के दौरान अल्मोड़ा के राजा ने कुछ निर्माण कार्यो के लिए रामपुर से कुछ मुस्लिमों मजदूरों को बुलाया था। राजा ने मुस्लिम परिवारों को रहने के लिए राज्य के एक कोने में पनाह दे दी थी। इसके बाद राज्य में धीरे-धीरे मुस्लिमों की संख्या बढ़ने लगी, और आज राज्य में कई ऐसे इलाके बन चुके है, जहाँ चले जाने पर देवभूमि उत्तराखंड का आभास नहीं होता है। स्वामी दर्शन भारती जी के अनुसार,वर्ष 1985 तक मुस्लिमों ने कभी मस्जिद की मांग नहीं की थी। लेकिन अब कट्टरवाद के चलते उन्हें सर्वप्रथम मस्जिद ही चाहिए।
स्वामी दर्शन भारती जी ने ऑपइंडिया को बताया, कि देवभूमि उत्तराखंड में मुस्लिमों को सबसे अधिक बढ़ावा एन डी तिवारी के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार के शासन काल में मिला था। उन्होंने ऑपइंडिया को बताया, कि एन डी तिवारी की सरकार के समय पर्यटक स्थल नैनीताल के नैना देवी के मंदिर के ऊपर उत्तराखंड की सबसे बड़ी मस्जिद का निर्माण किया गया। मस्जिद पूरी तरह से सड़क को अतिक्रमण करके बनाई गई है, और मस्जिद की भव्यता के आगे मंदिर भी छोटा लगने लगा है।
देवभूमि उत्तराखंड में बनी अधिकतर मस्जिदें एन डी तिवारी के शासन काल में बनी है। स्वामी दर्शन भारती ने बताया, कि श्रीनगर गढ़वाल, पौड़ी, कोटद्वार और दुगड्डा में भी तत्कालीन सरकार के सहयोग से मस्जिदों को बनवा दिया गया। यहाँ तक, कि नेपाल सीमा से सटे बॉर्डर पर पड़ने वाले धारचूला में भी मस्जिद बना दी गई है। उल्लेखनीय है, कि फरवरी 2022 में कांग्रेस नेता और रुद्रप्रयाग विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले मातबर सिंह कंडारी का वीडियो भी रुद्रप्रयाग में मस्जिद के लिए जमीन देने के वादे के साथ वायरल हुआ था।
स्वामी दर्शन भारती ने दावा किया, कि विगत सात वर्षो से उत्तराखंड में कोई नई मस्जिद नहीं बनने दी गई है। उन्होंने कहा, कि अब कोई बना कर तो दिखाए। जो मजारें अवैध रूप से बनाई गई है, हम उन पर विधिपूर्वक कार्रवाई करवा रहे है। देहरादून-मसूरी मार्ग पर दो मजारे अवैध रूप से बना दी गयी है। उन्हें भी शीघ्र वहाँ से हटना होगा। स्वामी जी ने कहा, कि हम जोशीमठ और कर्णप्रयाग जैसी धार्मिक नगरी में मस्जिदों का निर्माण रोक चुके है। अब देवभूमि उत्तराखंड का नागरिक अपने सनातन धर्म के प्रति जागरूक हो रहा है। वरना यहाँ के हिंदुओ को यह ज्ञान ही नहीं था, कि राज्य में क्या हो रहा है।
ऑप इंडिया को दिए साक्षात्कार में स्वामी दर्शन भारती ने बताया, कि वर्तमान में सम्पूर्ण उत्तराखंड में लगभग 2000 अवैध मजारें मौजूद है, और हैरानी की बात यह है, कि ये अवैध मजारें सरकारी जमीनों को कब्जा करके बनाई गई है। अधिकांश अवैध मजारे पीडब्लूडी, वन विभाग, और सिंचाई विभाग की जमीनों पर अतिक्रमण कर बनाई गई है। उन्होंने कहा, कि देहरादून नगर निगम और जिला पंचायत की 60 से 70 फीसदी जमीनों पर मुस्लिमों का अवैध कब्ज़ा है।
स्वामी दर्शन भारती ने बताया, कि अस्थाई राजधानी देहरादून की आज़ाद नगर कॉलोनी की कई हजार हेक्टेयर बेशकीमती सरकारी भूमि पर मुस्लिमों के अवैध कब्जे है। वर्तमान में देहरादून के राजीव नगर से गुजरती रिस्पना नदी और शहर के नालों की जमीनों पर कब्जा कर कई मंजिला मस्जिदें खड़ी हो गईं है। इसके अलावा देहरादून में कई मदरसे भी बन गए है। आज देहरादून का बाहरी क्षेत्र मुस्लिम आबादी बहुल लगता है। आज मुस्लिम प्राचीन धार्मिक नगरी जोशीमठ तक पहुँच गए है, और अगर यही हाल रहा, तो आगामी 4-5 सालों में देवभूमि की पौराणिक संस्कृति खत्म होने के कगार पर पहुंच जाएगी।