दिल्ली नगर निगम (MCD) चुनाव के परिणाम घोषित हो गए है। आम आदमी पार्टी (आप) ने 15 साल से सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (BJP) को पीछे छोड़ दिया है। 250 वार्ड वाले दिल्ली नगर निगम में आप पार्टी ने 134, भाजपा 104 और कांग्रेस ने 9 पर जीत दर्ज की है।
उल्लेखनीय है, कि दिल्ली नगर निगम चुनाव के परिणामों ना तो आप पार्टी ऐसी प्रचंड जीत मिली है, जिसके सपने वह एग्जिट पोल के आंकड़ों के अनुसार देख रही थी, और ना भाजपा को ऐसी हार मिली है, जो जिसके बारे में सोचकर भाजपा वाले 4 दिसंबर को वोटिंग के बाद से खौफजदा थे।
वहीं लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तरह कांग्रेस पार्टी का हश्र दिल्ली नगर निगम (MCD) में भी बुरा ही रहा। 2017 के एमसीडी चुनावों में 31 सीटें जीतने वाली कांग्रेस इस बार सिर्फ 9 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई है। चुनाव में कांग्रेस की इज्जत मुस्लिम प्रत्याशियों ने बचाई है। कांग्रेस ने जिन 9 वार्ड में जीत हासिल की है, उसमें से 7 मुस्लिम उम्मीदवार बताये जा रहे है।
दिल्ली नगर निगम चुनाव परिणामों के बाद यह चर्चा भी शुरू हो गई है, कि आप से पिछड़ने के बाद भी भाजपा अपना मेयर बनवाने में कामयाब हो सकती है। इसकी पीछे दो वजहें बताई जा रही है। पहली ये, कि 12 लोगों को दिल्ली के उपराज्यपाल नगर निगम में मनोनीत करते है, और अनुमान लगाया जा रहा है, कि ये सभी बीजेपी के साथ जाएँगे।
दूसरी वजह ये बताई जा रही है, कि एमसीडी चुनावों में लोकसभा और विधानसभा की तरह दल-बदल कानून लागू नहीं होता है। इसका अर्थ यह है, कि कोई पार्षद जब चाहे तब उस पार्टी को अलविदा कह सकता है, जिसके टिकट पर वो चुनाव जीतकर आया है।
दिल्ली एमसीडी चुनाव में सबसे ज्यादा सीटे जीकर आप पार्टी ने भले ही सबको चौंका दिया है, लेकिन अगर चुनावी वोट शेयर पर ध्यान दिया जाए, तो इस चुनाव में आप पार्टी को मिले वोट शेयर ही उसके लिए चिंताजनक मुद्दा है। दरअसल दो साल पहले दिल्ली विधानसभा में आप का वोट शेयर 53.61 फीसदी था, वही इस बार एमसीडी चुनाव में यह आंकड़ा 42.05 फीसदी पर आकर सिमट गया है।
इसका अर्थ AAP पार्टी का वोट शेयर सीधे-सीधे 11.56 फीसदी तक कम हो गया है। इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं का आप पार्टी से मोह भंग होना आम आदमी पार्टी के लिए खतरे का संकेत हो सकता है।