दुनिया में तबाही मचाने वाले कोरोना संक्रमण की शुरुआत से ही इसकी उत्पत्ति को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। विश्व के कई देशों ने चीन पर इसे प्रयोगशाला में तैयार करने के आरोप लगाए हैं। इसी बीच एक नए शोध में दावा किया गया है, कि इस वायरस को चीन के विज्ञानियों ने वुहान की प्रयोगशाला में ही तैयार किया था। इसके बाद चीन ने अपनी करतूत छिपाने के लिए इस वायरस को रिवर्स-इंजीनियरिंग वर्जन से मामले को दबाने की कोशिश की, जिससे दुनिया को यह लगे, कि कोरोना वायरस चमगादड़ से प्राकृतिक रूप से विकसित हुआ है।
पिछले सप्ताह आयी अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट ऑफ जर्नल की एक रिपोर्ट में कहा गया था, कि वर्ष 2019 के नवंबर में वुहान लैब के तीन वैज्ञानिको में कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए थे। जबकि उस दौरान चीन ने दुनिया को कोरोना महामारी के बारे में जानकारी नहीं दी थी। लेकिन अब कोरोना के बारे में नए अध्ययन से यह तय होता दिख रहा है,कि कोरोना वायरस चाइना की लैब में तैयार किया गया था। विशेषज्ञों ने ही प्राकृतिक वायरस से छेड़छाड़ कर इसे बहुत शक्तिशाली बनाया है।
ब्रिटेन के प्रोफेसर एंगस डल्गलिश और नार्वे के वैज्ञानिक डा. बिर्गर सोरेनसेन द्वारा किए गए नए शोध के नतीजे सामने आने के बाद पडोसी देश चीन के खिलाफ शक की सुई घूम गयी है। शोधकर्ताओं के अध्ययन के मुताबिक इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले है, कि कोरोना वायरस प्राकृतिक रूप से जन्मा है। चीन की प्रयोगशाला में ‘गेन आफ फंक्शन’ नामक प्रोजेक्ट प्राकृतिक वायरस में छेड़छाड़ कर उसे और ज्यादा संक्रामक बनाने से जुड़ा है। जिसे पूर्व में अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल में गैरकानूनी घोषित किया था।
इस नए शोध में यह दावा किया गया है, कि चीन के वैज्ञानिको ने गुफाओ में रहने वाले चमगादड़ के शरीर से प्राकृतिक कोरोना वायरस को निकाला और उसके बाद उसके स्पाइक प्रोटीन में छेड़छाड़ कर इसे अधिक खतरनाक और तेजी से फैलने वाला वायरस बना दिया। इसके लिए चीन के वैज्ञानिको ने विशेष उपकरण भी निर्मित किये। इन उपकरणों को तैयार करने के लिए अमेरिकन विश्वविद्यालय के कुछ वैज्ञानिको कि सहायता भी ली गयी। वर्तमान में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के साथ – साथ वायरस के नए – नए वैरियंट ने दुनिया को आतंकित कर रखा है।
सामान्यतौर पर कोई भी वायरस संक्रमित मरीजों से ही फैल कर अन्य लोगो को संक्रमित करता है। वायरस आमतौर पर किसी खास मौसम में ही अधिक संक्रमित करता है। जबकि कोरोना के मामले में ऐसा नहीं है। यह बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमित मरीजों से भी फैल रहा है। शोध के अनुसार कोरोना वायरस के चीन की वुहान लैब में तैयार होने के पीछे दो प्रमुख बिन्दुओ पर केंद्रित है, पहला यह कि कोरोना का वायरस के फैलने का तरीका एक आइडियल इंफेक्टिव वायरस से मिलता जुलता है। जो प्राकृतिक रूप से संभव नहीं है और दूसरा इस वायरस का स्ट्रेन किसी भी अन्य जीव जंतु में देखने को नहीं मिलता है।
अगर यह घातक वायरस चीन की वुहान लैब से आया है, तो चीन को नैतिक जिम्मेदारी लेने से नहीं बचना नहीं चाहिए और इस खतरनाक वायरस की वैक्सीन की मांग पूरा करने के लिए आगे आना चाहिए। लेकिन अगर चीन ने इस वायरस का निर्माण सबकुछ जानबूझ कर जैविक हथियार के रूप में किया है। तो पूरी दुनिया को भविष्य में चीन से अधिक सावधान रहने की जरुरत है। फिलहाल कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन से दोबारा जाँच पड़ताल के लिए विश्व बिरादरी में मांग तेज होने लगी है।