अधिकतर दुकानों पर आपने पढ़ा होगा ‘उधार प्रेम की कैची है’, और अक्सर लोग अपने जानने वालों से कर्ज तो ले लेते हैं, लेकिन लौटाते वक्त आनाकानी करते है। हालाँकि कर्ज का भार मानव मस्तिष्क को कितना कचोटता है, इसे हाल ही की एक खबर से समझा जा सकता है।
हरियाणा के हिसार से एक ऐसा दिलचस्प मामला सामने आया है, जहां एक व्यक्ति 68 साल पुराने 28 रुपए के उधार को चुकाने के लिए अमेरिका से हिसार वापस आया। इस व्यक्ति ने 28 रुपये की उधारी के साथ दस हजार रुपये का उधार भी चुकाया। हालाँकि लेनदार ने उधारी की रकम को गोशाला में दान करने का निर्णय लिया है।
दरअसल यह व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि हरियाणा राज्य में प्रथम नौसेना बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित होने वाले नौसेना कमांडर बीएस उप्पल हैं। उल्लेखनीय है, कि 67 वर्ष (1954) पूर्व सेवानिवृत बीएस उप्पल ने हिसार के एक हलवाई शंभू दयाल बंसल की दुकान पर लस्सी पीने के लिए गए। इस लस्सी में विशेष पेड़ा डालने पर इसका स्वाद बढ़ जाता है।
उस वक्त युवा बीएस उप्पल ने सोचा, कि वह दुकान पर तो अक्सर आते-जाते रहते ही है। साल 1954 तक उन पर दुकान के 28 रुपए उधार हो गए थे, जिन्हें वह चुका नहीं पाए थे। उसी समय उनकी नौसेना में नौकरी लग गयी, और ट्रेनिंग के बाद वह हिसार वापस नहीं लौट सके।
नेवी में नौकरी के बाद वह कई देशो में घूमते रहे और सेवानिवृत्ति के बाद अपने बेटे के साथ अमेरिका में सेटल हो गए। जिसके बाद उन्हें हिसार आने का मौका ही नहीं मिला, जिससे वह अपनी उधारी चुका सकें। हालाँकि उन्होंने सदैव यह बात याद रखी, ‘उन्हें हलवाई के 28 रुपए चुकाने है।
सेवानिवृत बीएस उप्पल की उम्र अब 85 साल है। फिर उन्होंने एक दिन निश्चय किया, कि अब 28 रुपए की उधारी चुका ही देनी चाहिए। इसके बाद उन्होंने टिकट कराया और हिसार पहुंच गए। हिसार की उस दुकान पर उन्हें हलवाई शंभू दयाल तो नहीं मिले। उनके स्थान पर उनकी तीसरी पीढ़ी उनके पोते विनय बंसल दुकानदारी संभाल रहे थे।
इसके बाद सेवानिवृत बीएस उप्पल ने विनय बंसल को पूरी बात बताई, और 28 रुपये का उधार ब्याज के साथ 10 हजार रुपये के रूप में दिए। दिल्ली वाला हलवाई दुकान के संचालक विनय बंसल ने बताया कि, सेवानिवृत बीएस उप्पल दुकान पर आए, और उधार की बात कही।
इसके बाद उन्होंने मेरे दादा स्व शंभू दयाल का जिक्र किया, जिनका स्वर्गवास 16 वर्ष पहले ही हो चुका है। विनय बंसल के अनुसार, उधार की उन्हें जानकारी नहीं थी, तो मैंने उन्हें मना कर दिया और आज तक काेई व्यक्ति इतने साल पुरानी उधारी चुकता करने भी नहीं आया है।
इसलिए दुकान स्वामी ने सेवानिवृत बीएस उप्पल से कहा, कि आप इस रकम को गोशाला में दान कर दें, इससे आपका भार उतर जाएगा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया, और रुपये देने की बात अड़ गए। लिहाजा उनका सम्मान करते हुए हमने इस धनराशि को स्वीकार कर लिया। अब मैं इस धनराशि को स्वयं गोशाला में दान करूंगा।
उल्लेखनीय है, कि सेवानिवृत बीएस उप्पल उस पनडुब्बी के कमांडर थे, जिसने भारत-पाक युद्ध के दौरान दुश्मन देश पाकिस्तान के जहाज को समंदर में डुबो दिया था और अपनी पनडुब्बी तथा नौसैनिकों को सुरक्षित वापस ले आए थे। इस शौर्य के लिए भारतीय सेना ने उन्हें नौसेना पुरस्कार से सम्मानित किया था।
https://youtu.be/aSp3pUyiZ00