भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने गगनयान मिशन को लेकर तैयारियां लगभग पूर्ण कर ली है। कार्यक्रम से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार, पहले परीक्षण उड़ान के परिणामों के आधार पर अन्य परीक्षण किए जाएंगे। इस दौरान क्रू मॉड्यूल को परखा जाएगा। जिसमें क्रू एस्केप प्रणाली भी शामिल है। बात दें, कि गगनयान का यह हिस्सा तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में ले जाने में उपयोग किया जाएगा।
इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए अभियान से जुड़ी तस्वीरें और जानकारी शेयर करते हुए बताया, कि गगनयान मिशन के तहत टीवी-डी1 अपने पहली परीक्षण के लिए 21 अक्तूबर को उड़ान भरेगा। जिसे प्रातः 7 से 9 बजे के बीच श्रीहरिकोटा से भेजा जाएगा। हालांकि इस परीक्षण के बाद भी तीन और परीक्षण वाहन मिशन आयोजित होंगे।
Mission Gaganyaan:
ISRO to commence unmanned flight tests for the Gaganyaan mission.Preparations for the Flight Test Vehicle Abort Mission-1 (TV-D1), which demonstrates the performance of the Crew Escape System, are underway.https://t.co/HSY0qfVDEH @indiannavy #Gaganyaan pic.twitter.com/XszSDEqs7w
— ISRO (@isro) October 7, 2023
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस. सोमनाथ ने बीते शनिवार को कहा था, कि गगनयान मिशन के तहत 21 अक्टूबर को पहली परीक्षण उड़ान के जरिये क्रू एस्केप सिस्टम का इनफ्लाइट एबार्ट टेस्ट किया जाएगा। उन्होंने कहा, कि पहली परीक्षण उड़ान के बाद हमने तीन और परीक्षण मिशनों, D2, D3, D4 की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य गगनयान मिशन के दौरान अंतरिक्षयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
इसरो प्रमुख ने बताया, गगनयान मिशन के लिए क्रू एस्केप सिस्टम का प्रदर्शन करते देखने के लिए टेस्टिंग की जरूरत है। गगनयान में क्रू एस्केप सिस्टम एक बेहद ही महत्वपूर्ण प्रणाली है। यदि रॉकेट को कुछ भी होता है, तो राकेट के विस्फोट में जलने से पहले कम से कम दो किमी दूर चालक दल को ले जाकर बचाना है, इसलिए यह परीक्षण क्रू मेंबर्स के एस्केप की प्रणाली को प्रदर्शित करने के लिए है। इसे ट्रांसोनिक स्थिति कहा जाता है।”
गौरतलब है, कि गगनयान मिशन के तहत तीन अंतरिक्षयात्रियों के दल को 400 किमी. की कक्षा में ले जाया जाएगा। इसके बाद उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाकर भारत मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करेगा। यह परीक्षण श्री हरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से होगा। इसमें क्रू मॉड्यूल की उड़ान, उसे वापस उतारने और समुद्र से रिकवर करने की प्रक्रियाएं शामिल होंगी।
मॉड्यूल को वापसी में बंगाल की खाड़ी में उतारा जाना है। जिसे भारतीय नौसेना द्वारा रिकवर किया जाएगा। इसके के लिए नौसैनिकों का एक गोताखोर दल बनाया गया है। साथ ही मिशन के लिए एक जहाज को भी तैयार किया जाएगा। चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग और सूर्य के लिए आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण के बाद गगनयान मिशन भारत को खगोल विज्ञान पर काम कर रहे अग्रणी देशों में शामिल करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अनुसार, फ्लाइट टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन1 की तैयारियां जारी हैं। मिशन में किसी अनहोनी की दशा में अंतरिक्ष यात्रियों को बचाने में यह क्रू-एस्केप प्रणाली काम आएगी। उड़ान भरते समय यदि मिशन में गड़बड़ी हुई, तो यह प्रणाली क्रू मॉड्यूल के साथ यान से अलग हो जाएगा, कुछ समय उड़ेगा और श्रीहरिकोटा से 10 किमी दूर समुद्र में उतरेगी। इसमें मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को नौसेना की ओर से समुद्र से सुरक्षित वापस लाया जाएगा।
उल्लेखनीय है, कि चंद्रयान-3 और आदित्य एल1 के बाद सबकी नजरें इसरो के महत्वपूर्ण अभियान गगनयान पर टिकी हुई है। जिसके जरिए भारत के तीन लोग भारतीय यान द्वारा ही अंतरिक्ष में जाएंगे। 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर तीन दिन के इस अभियान के बाद गगनयान के यात्री समुद्र में लैंडिंग के जरिए धरती पर वापसी करेंगे।
बता दें, गगनयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के तीन अंतरिक्ष मिशन का एक ग्रुप है। इनमें से दो अभियान मानव रहित है, जबकि तीसरे में मानव को भी अंतरिक्ष में भेजा जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस अभियान में तीन अंतरिक्ष यात्री भेजे जाएंगे, जिसमें से दो पुरुष और एक महिला होंगी। इसरो की योजना पृथ्वी की सबसे करीबी कक्षा (लोअर ऑर्बिट) में मानव यान भेजने की है। गगनयान मिशन की सफलता के बाद भारत रूस, अमेरिका और चीन जैसे चुनिन्दा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा।