सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते सोमवार (7 नवंबर 2022) को दिल्ली के छावला इलाके में 2012 में उत्तराखंड के पौड़ी जनपद निवासी 19 वर्षीय युवती का अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में मौत की सजा पाए तीन आरोपियों को रिहा कर दिया है।
शीर्ष अदालत के निणर्य पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है, कि कोर्ट ने जो फैसला लिया है, उस पर उन्होंने मुकदमें की पैरवी कर रही अधिवक्ता चारू वलीखन्ना से बात की है। साथ ही इस विषय पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू से भी वार्ता की गई है। सीएम धामी ने कहा, कि पीड़िता हमारे देश की बेटी है, और उसे न्याय दिलाने के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे।
Uttarakhand | On the decision that the court has made, I've spoken to Advocate Charu Khanna who is handling the case & Union Law Minister Kiren Rijiju. The victim is the daughter of our country & we'll do everything to ensure she gets justice: CM PS Dhami on Chhawla rape case https://t.co/4cjDlNFZ9h pic.twitter.com/9blNKtwY2H
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 8, 2022
वहीं, इस प्रकरण में राज्य के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, कि उत्तराखंड की बेटी को न्याय मिले, इसके लिए राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी चाहिए।
जानकारी के लिए बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (7 नवंबर, 2022) को दिल्ली के छावला इलाके में युवती के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में 3 आरोपितों को बरी कर दिया है। वर्ष 2012 के दिल दहलाने वाले इस मामले में दिल्ली की एक अदालत ने तीनों को दोषी करार देते हुए मृत्युदंड सुनाया था।
2012 Chhawla rape case: Supreme Court acquits three men who were awarded the death penalty by a Delhi court after being held guilty of raping and killing a 19-year-old woman in Delhi's Chhawla area in 2012 pic.twitter.com/CsbjUhROn3
— ANI (@ANI) November 7, 2022
इसके बाद हाई कोर्ट ने भी तीनों आरोपितों की मौत की सजा बरकरार रखते हुए कहा था, कि दोषियों के जघन्य अपराध के मद्देनजर किसी प्रकार की नरमी नहीं बरती जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीनों युवकों को बरी किए जाने के बाद पीड़िता की माँ ने कहा है, “हमें उम्मीद थी, कि न्याय मिलेगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने हमें तोड़ दिया है। समझ नहीं आ रहा है, कि क्या करें। हमारी सोचने की ताकत खत्म हो गई है।
दरअसल, वर्ष 2012 में दिल्ली के छावला क्षेत्र से 19 वर्षीय एक युवती का अपहरण किया गया था। इसके बाद उसे हरियाणा के रेवाड़ी ले जाकर 3 दिन तक सामूहिक बलात्कार किया गया था। युवती पर हैवानों की निर्ममता यही नहीं रुकी, और उन्होंने युवती के चेहरे पर तेजाब डाल दिया गया था और शरीर के कई हिस्सों में गर्म लोहे से गंभीर जख्म दिए थे।
पुलिस ने जब युवती का शव बरामद किया था, तब प्राइवेट पार्ट में बोतल फँसी हुई मिली थी। बलात्कार और निर्मम हत्याकांड में पुलिस ने तीन आरोपित रवि, राहुल और विनोद को हिरासत में लिया था। पुलिस ने युवती के अपहरण के वक्त सामने आए प्रत्यक्षदर्शीयों के बयान के आधार पर लाल इंडिका गाड़ी की खोजबीन की थी। इसके बाद संदिग्ध वाहन के साथ राहुल नामक एक आरोपित को गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस के अनुसार, आरोपित राहुल ने गिरफ्तारी के बाद पुलिस के सामने अपना अपराध कबूल किया था, और अपराध में शामिल अपने दोनों साथियों रवि और विनोद के बारे में भी जानकारी दी थी। इन तीनों की निशानदेही के बाद लड़की का शव बरामद किया गया था। पुलिस ने कहा था, कि रवि ने अपराध की साजिश रची, क्योंकि युवती ने रवि के प्रेम प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
इस खौफनाक घटना पर अपना फैसला सुनाते हुए दिल्ली की निचली अदालत ने डीएनए रिपोर्ट समेत अन्य अकाट्य साक्ष्यों के आधार पर तीनों को दोषी करार देते हुए साल 2014 में मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद तीनों युवकों ने उच्च न्यायालय का रुख किया था। हालाँकि, हाई कोर्ट ने भी उनकी सजा को बरकरार रखते हुए कहा था, ये वो हिंसक जानवर हैं, जो सड़कों पर शिकार ढूँढ़ते है। लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट ने तीनों आरोपितों को बरी कर दिया है।