भारतीय डेयरी कंपनी अमूल (Amul) को अमेरिका की पशुओ के हितो की रक्षा करने वाले संगठन पेटा द्वारा लगातार निशना बनाया जा रहा है। दरअसल, PETA ने अमूल कंपनी को सुझाव दिया था कि उसे डेयरी से निर्मित मिल्क प्रोडक्ट का उत्पादन करने के बजाए शाकाहारी दूध का उत्पादन करना चाहिए। पेटा संस्था द्वारा दिए गए इस सुझाव के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई है।
Will they give livelihood to 100 million dairy farmers (70% landless) , who will pay for children school fee .. how many can afford expensive lab manufactured factory food made out of chemicals … And synthetic vitamins .. https://t.co/FaJmnCAxdO
— R S Sodhi (@Rssamul) May 28, 2021
अन्तर्राष्ट्रीय संस्था पेटा द्वारा दिए गए इस सुझाव पर भारत की सबसे बड़ी डेयरी कंपनी अमूल ने पेटा संस्था पर जोरदार जबाबी हमला करते हुए कहा है, कि प्लांट बेस्ड डेयरी प्रोडक्ट से शाकाहारी उत्पादों पर शिफ्ट होने के बाद देश में करोड़ों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में किस प्रकार सहायक होगा। अमूल कंपनी के कहा कि विदेशी चंदे पर चल रहे एनजीओ को भारतीय डेयरी उद्योग को बर्बाद करने से बचना चाहिए।
पेटा संस्था के सुझाव पर अमूल कंपनी के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी ने ट्विटर पर पेटा संस्था से सवाल पूछा कि क्या शाकाहारी दूध के उत्पादन से करोड़ो डेयरी किसान, जिनमें से 70 प्रतिशत किसान भूमिहीन हैं, क्या उनका जीवनयापन वेगन उत्पादों से सरलता से चल सकता है और वे क्या इसके माध्यम से अपने बच्चों की स्कूल फीस भरने में सक्षम हो सकेंगे। भारत जैसे देश में कितने नागरिक वास्तव में प्रयोगशाला में बना शाकाहारी दूध खरीदने और कितने लोग लैब में निर्मित रसायन और सिंथेटिक विटामिन की प्रकिया से बनी मंहगी खाने-पीने की वस्तुओ का खर्च उठाने का का सामर्थ्य रखते है ?
Some organisations, including those foreign funded, including @PETA are trying to malign dairy, which provides employment to 10 crore families, on the pretext of cruelty to animals. “ASCI observed that plant-based milk is not covered under the .. https://t.co/YsDn8bCPlk” pic.twitter.com/fcsknrpnvh
— ASHWANI MAHAJAN (@ashwani_mahajan) May 26, 2021
अमूल कंपनी के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी ने स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-समन्वयक अश्विनी महाजन के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा है, ”क्या आप को पता नहीं है कि भारत में अधिकतर डेयरी किसान भूमिहीन हैं। इस सुझाव को लागू करने से कई नागरिको के जीवनयापन का स्रोत समाप्त हो जाएगा। भारत के गावों में गाय पालना भारतीय परंपरा का हिस्सा है। दूध का प्रयोग हमारे विश्वास,परंपराओं,स्वाद ,और हमारे खाने की दैनिक आदतों में पोषण का एक सरल और हमेशा उपलब्ध रहने वाला साधन है।
दरअसल वेगन मिल्क (शाकाहारी दूध ) वनस्पतियो से बनाए जाने वाला शाकाहारी दूध है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार वेगन मिल्क लोगों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। यह पशुओं से प्राप्त होने वाले दूध से अलग होता है। सोया दूध ,नारियल दूध , काजू से बना दूध ,बादाम का दूध आदि वेगन मिल्क के अंतर्गत आते हैं। इनमे से कई दूध को भारतीय भोजन को बनाते समय पहले से प्रयोग में लाया जाता रहा है। परन्तु भारतीय बाजार में अधिक दाम होने की वजह से ये बहुत कम प्रचलन में है।