हरियाणा विधानसभा में धर्मांतरण विरोधी कानून पारित हो गया है। इस बिल के अंतर्गत जबरन धर्मांतरण कराने का प्रयास करने वाले को दस वर्ष की सजा का प्रावधान है। हरियाणा कैबिनेट ने धर्मांतरण रोकथाम विधेयक 2022 को पहले ही मंजूरी दे दी थी। विधानसभा में मतदान के दौरान कांग्रेस नेताओं ने बिल के विरोध में सदन से वॉकआउट कर दिया।
Breaking :- Haryana Govt passes anti conversion bill. Congress walked out from assembly.
Yogi Adityanath passed the similar bill in Uttar Pradesh in year 2020.
— Times Algebra (@AnkitIndiaReal) March 22, 2022
भाजपा शासित उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी कानून पहले से ही लागू है। हरियाणा विधानसभा में पारित गैर-कानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022 के अनुसार, यदि लालच, जबरन अथवा धोखाधड़ी के जरिए धर्म परिर्वतन किया जाता है, तो इस अवस्था में एक से पांच साल की सजा और कम से कम एक लाख रुपये के जुर्माना का प्रावधान है। विधेयक के अनुसार, जो भी एक नाबालिग या एक महिला अथवा अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का धर्म परिवर्तन करता है, या इसकी कोशिश करता है, तो उसे कम से कम चार साल जेल का सजा मिलेगी, जिसे बढ़ाकर 10 वर्ष और कम से कम तीन लाख रुपये का जुर्माना किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है, कि हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने इस विधेयक को लेकर पूर्व में कहा था, कि भारतीय संविधान की अनुच्छेद 25, 26, 27 और 28 के तहत सभी को धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। नागरिकों को किसी भी धर्म को चुनने का अधिकार है। इसके बावजूद जबरन धर्मांतरण के कई मामले सामने आए है, और इसी के मद्देनजर हरियाणा सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून लेकर आई है।
हरियाणा राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने के लिए हरियाणा धर्मांतरण रोकथाम बिल सदन में लाया गया है। इस बिल में गलत बयानबाजी, गलत प्रभाव, जबरदस्ती, लालच अथवा किसी तरह से शादी के लिए दबाब डालना अब अपराध की श्रेणी में होगा। इस विधेयक के जरिये नागरिको को धार्मिक स्वतंत्रता मिलेगी, इस विधेयक का एक मात्र लक्ष्य भारत में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को कयाम रखना होगा।