भारत राष्ट्र की न्याय व्यवस्था के इतिहास में पहली बार फांसी की सजा प्राप्त महिला के जुर्म के आगे उसके बेटे की माँ की पुकार ने एक नए विमर्श को जन्म दे दिया है। मामला उत्तर प्रदेश के अमरोहा जनपद का है,जहा शबनम नाम की युवती ने अपने प्रेमी के साथ निकाह में रोड़ा बन रहे अपने परिवार के सभी सात सदस्यों की हत्या कर दी थी।
जानकारी के अनुसार शबनम सलीम नाम के युवक से प्रेम करती थी,और वह सलीम से शादी करना चाहती थी। परन्तु शबनम के परिजन उसके इस प्रेम विवाह की राह में रोड़ा बन रहे थे। इसलिए शबनम ने सलीम से शादी करने की चाह में एवं परिजनों की सम्पत्ति हड़पने के लिए 14 अप्रैल 2008 की रात बावनखेड़ी स्थित अपने घर में दस माह के मासूम समेत सात लोगो के सर कुल्हाड़ी से काट दिए थे।
पेशे से स्कूल में शिक्षक शबनम के पिता भी एक शिक्षक थे। शबनम खाली वक्त में बच्चो को इंग्लिश भी पढ़ाया करती थी। उसके जीवन में एक ऐसा वक्त आया, जब शबनम को एक आरा मशीन चलाने वाले पांचवी पास सलीम से इश्क हो गया। इसके बाद दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा और मामला शादी की दहलीज पर जा पंहुचा। शबनम ने सलीम से निकाह करने के निर्णय की बात अपने परिजनों को बताई, परन्तु शबनम के परिजनों ने शैक्षिक स्तर एवं पारिवारिक हैसियत का हवाला देकर इस रिश्ते से इंकार कर दिया।
इसी बीच शबनम प्रेगनेंट हो गयी और वह किसी प्रकार अपने घरवालों को सलीम के साथ शादी के लिया मनाने में लग गयी। परन्तु शबनम के घरवाले किसी भी परिस्थिति में इस बेमेल रिश्ते को अपनाने के लिए तैयार नहीं थे। शबनम को पता था कुछ ही दिनों में उसके प्रेगनेंट होने वाली बात उसके घरवालों को पता चल जाएगी। इसलिए शबनम ने अपने आशिक सलीम के साथ मिलकर अपने परिजनों को ठिकाने लगाने की योजना बनायीं।
योजना के अनुसार क़त्ल की रात के लिए शबनम ने अपने आशिक सलीम से जहर मंगवाया और उस जहर को अपने घर में मौजूद सभी परिजनों के खाने में मिलाकर उन्हें जहर खिला दिया। जहर मिले खाने को को खाकर शबनम के परिजन बेसुध हो गए। इसके बाद उनकी मौत को कन्फर्म करने के लिए सलीम द्वारा लायी गयी कुल्हाड़ी से अपने माता पिता,दोना भाई,भाभी उनके दस माह के शिशु समेत अपनी मौसेरी बहन का सर काट कर इस घृणित हत्याकांड को अंजाम दिया।
हत्याकांड को अंजाम देने के बाद शबनम ने अपने आप को एक कमरे में बंद कर दिया और जोर – जोर से आवाज लगाकर मदद को गुहार लगाने लगी। इसके बाद शोरशराबा सुनकर मौके पर पहुंचे पड़ोसियों को शबनम ने उन्हें डकैती की झूठी कहानी सुनाई। घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने जब मामले की तफ्तीश की, तो उन्हें डकैती का मामला संदिध प्रतीत हुआ और उन्होंने शबनम की कॉल डिटेल्स खंगाली। इस दौरान जांच में यह बात सामने आयी, कि घटना वाली रात शबनम ने सलीम को तकरीबन पचपन बार फोन किया था।
इसके बाद पुलिस द्वारा सलीम से कड़ाई से पूछताझ की गयी,जिसके बाद सलीम ने पूरा घटनाक्रम पुलिस के सामने उगल दिया। इसके बाद शबनम और सलीम को आमने सामने बैठा कर पूछताझ की गयी और आखिरकार शबनम ने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया। इस प्रकार आगे की कार्यवाही के लिए मामला न्यायलय में पंहुचा। जहा जिला कोर्ट ने मामले की संगीनता देखते हुए दोनों अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई। इसके बाद मामला हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पंहुचा, जहा दोनों अदालतों ने अभियुक्तों की फांसी की सजा को बरक़रार रखा इस दौरान शबनम द्वारा रामपुर जेल में एक पुत्र को जन्म भी दिया गया।
अपनी फांसी के वारंट का इन्तजार कर रही शबनम के बेटे ने पत्र लिख कर देश के राष्ट्रपति से अपनी माँ को जीवन दान दिए जाने की अपील की है। शबनम के बेटे द्वारा की गयी अपील के बाद यह प्रश्न उठने लगे है, कि क्या बेटे के मानवीय अधिकार के आधार पर शबनम की फांसी की सजा को ख़ारिज किया जा सकता है अथवा इस घृणित हत्याकांड में क़त्ल की मुख्य आरोपी शबनम की सजा माफ़ की जा सकती है?