बदरीनाथ धाम में नायब रावल अमरनाथ नंबूदरी अब मुख्य पुजारी होंगे। बीते शनिवार को उनका तिलपात्र हुआ था। जिसके बाद आज रविवार 14 जुलाई, 2024 को मुख्य पुजारी ने धाम में स्थित पंचधाराओं में जाकर जल से स्नान किया। इसके बाद वह मंदिर पंहुचे और मंदिर परिसर में स्थित हवन कुंड में हवन किया। फिर तप्त कुंड में स्नान के बाद उन्होंने मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया।
इसके साथ ही पहले से मौजूद निवर्तमान रावल के साथ बाल भोग व आरती करने के बाद दोनों रावल स्वर्ण छड़ी के साथ रावल निवास में पंहुचे। अब से मंदिर में होने वाली समस्त पूजाएं नए रावल अमरनाथ ही करेंगे। बता दें, कि बदरीनाथ मंदिर में पूजा करने वाले मुख्य पुजारी को रावल कहते है। मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश और बदरीनाथ जी की मूर्ति को स्पर्श करने का अधिकार सिर्फ रावल को ही है।
चारधाम पुरोहित महापंचायत के महासचिव डॉ बृजेश सती के अनुसार, बदरीनाथ मंदिर रावल द्वारा भगवान की पूजा करने की परंपरा 1776 से आरंभ शुरू हुई है। अब तक 20 रावल हुए हैं। ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी 2014 से बदरीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी हैं। अब ईश्वरी प्रसाद पारिवारिक और स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते बदरीनाथ मंदिर के रावल पद को छोड़ रहे हैं। इनके बाद मौजूदा नायब रावल अमरनाथ नंबूदरी मंदिर के नए रावल होंगे।
बदरीनाथ धाम में रावल परंपरा करीब 250 सालों से चली आ रही है। तब से यह परंपरा निर्बाध रूप से चल रही है। दक्षिण भारत के नंबूदरी ब्राह्मण ही मंदिर के रावल नियुक्त किए जाते है। बदरीनाथ धाम में मुख्य पुजारी को रावल कहा जाता है। बदरीनाथ के मुख्य पुजारी को यह उपाधि टिहरी नरेश प्रदीप शाह द्वारा दी गई थी।
सन 1776 में टिहरी के राजा प्रदीप शाह बदरीनाथ के प्रवास पर आए थे। उन्हें पता चला, कि बदरीनाथ के मुख्य पुजारी जो उस समय के शंकराचार्य हुआ करते थे, वे ब्रह्मलीन हो गए हैं, जिससे मंदिर में नियमित पूजा नहीं हो पा रही है। मंदिर में नियमित पूजा चलती रहे और उसमें कोई व्यवधान न हो इसके लिए व्यवस्था बनाने की जरूरत थी।
टिहरी के राजा प्रदीप शाह ने गोपाल नंबूदरी को बदरीनाथ धाम का प्रथम रावल नियुक्त किया। जिसके बाद से धाम में रावल परंपरा शुरू हो गई। पहले यह व्यवस्था राजपरिवार के पास थी, बाद में बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के माध्यम से रावल की तैनाती की जाने लगी।