दिव्य फार्मेसी की औषधियों पर लगी रोक को उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग ने अपनी गलती स्वीकारते हुए वापस ले लिया है। आयुर्वेद विभाग के ड्रग कंट्रोलर डॉ जीसीएस जंगपांगी के अनुसार, औषधियों पर त्रुटिवश रोक लगा दी गई थी। वहीं पतंजलि ने इसे बड़ा षडयंत्र बताते हुए कहा, कि आयुर्वेद चिकित्सा के घोर विरोधियों से कानून समेत सभी मोर्चों पर मजबूती के साथ लड़ा जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शुक्रवार (11 नवंबर, 2022) को उत्तराखंड सरकार की ‘आयुर्वेद और यूनानी लाइसेंस अथॉरिटी’ ने केरल के एक चिकित्सक की शिकायत के बाद ‘भ्रामक विज्ञापनों’ का हवाला देते हुए पतंजलि संस्था की ‘दिव्य फॉर्मेसी’ की पांच औषधियों के उत्पादन पर रोक लगा दी थी।
योगगुरु बाबा रामदेव के सहयोगी और पतंजलि आयुर्वेदि लिमिटेड के निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने ट्वीट कर जानकारी देते हुए कहा है, “उत्तराखण्ड सरकार ने मानी गलती, पतंजलि की पाँचों दवाओं पर लगा बैन हटाया। पतंजलि संस्थान ने विश्व में सर्वप्रथम आयुर्वेद की औषधियों को 30 वर्षों के निरन्तर पुरुषार्थ व अनुसंधान से अनुसंधान और साक्ष्य आधारित दवा के रूप में स्वीकार्यता दिलाई है।”
माननीय प्रधानमंत्री जी भी देश को सभीप्रकार की गुलामियों की निशानियों कोमिटाकर अपनी विरासत के गौरव को प्रतिष्ठित करने के लिए अखण्ड पुरुषार्थ कर रहे हैं उत्तराखण्ड के आयुर्वेद लाइसेंसिंगअधिकारी अज्ञानी,असंवेदनशील,अयोग्य अधिकारी न केवल पूरी आयुर्वेद की ऋषि परम्परा को कलंकित कररहेहैं pic.twitter.com/ynw0sXwy68
— Acharya Balkrishna (@Ach_Balkrishna) November 12, 2022
आचार्य बालकृष्ण ने कहा, “माननीय प्रधानमंत्री भी देश को सभी प्रकार की गुलामी की निशानियों को मिटाकर अपनी विरासत के गौरव को प्रतिष्ठित करने के लिए अखण्ड पुरुषार्थ कर रहे है। वहीं उत्तराखंड के आयुर्वेद लाइसेंसिंग अधिकारी अज्ञानी, असंवेदनशील, अयोग्य अधिकारी पूरी आयुर्वेद की ऋषि परम्परा को कलंकित करने का कार्य रहे है।”
उल्लेखनीय है, कि इससे पहले पतंजलि संस्था की दिव्य फार्मेसी की औषधियों पर प्रतिबंध लगाने की सूचना सामने आने के बाद पतंजलि की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया था, कि उनकी संस्था में जितने भी उत्पाद व औषधियाँ बनाई जाती है, वे सभी निर्धारित मानकों के अनुरूप और वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए निर्मित की जाती है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, केरल राज्य के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ केवी बाबू ने राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (एसएलए) से दिव्य फार्मेसी की औषधियों को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज की थी। इसके बाद उत्तराखंड की आयुर्वेद और यूनानी लाइसेंस अथॉरिटी ने दिव्य फार्मेसी को आदेश जारी कर बीपीग्रिट, मधुग्रिट, थाइरोग्रिट, लिपिडोम और आईग्रिट गोल्ड दवाओं का उत्पादन तत्काल रोकने के आदेश दिए थे।
इतना ही नहीं असत्य और भ्रामक विज्ञापनों का हवाला देते हुए उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने पतंजलि को फॉर्मूलेशन शीट और लेबल में परिवर्तन करते हुए इन पाँचो राज्य लाइसेंसिंग के लिए फिर से अनुमति लेने के निर्देश भी दिए थे। उल्लेखनीय है, कि योगगुरु बाबा रामदेव की आयुर्वेदिक उत्पाद निर्मित करने वाली संस्था ‘पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड’ कई प्रकार के उत्पाद तैयार करती है।
दिव्य फार्मेसी की औषधियों पर अकारण गलती से रोक लगाए जाने के कारण आयुर्वेद विभाग के अधिकारियों की मंशा पर सवाल खड़े हो गए है। बिना पुख्ता जानकारी के लगाए गए इस प्रतिबंध की वजह से ना सिर्फ दिव्य फार्मेसी की छवि को नुकसान पहुंचा, बल्कि इससे राज्य सरकार और आयुर्वेद विभाग की छवि भी धूमिल हुई है। बिना सबूत के दिव्य फार्मेसी की औषधियों पर बैन की वजह से अब विभाग के अधिकारियो पर भी कार्रवाई की तलवार लटक गई है।