हॉरर कॉमेडी फिल्म भूल भुलैया का तीसरा पार्ट सिनेमाघरों में रिलीज हो गया है। फिल्म के पहले पार्ट में जो एक फ्लेवर तैयार किया गया था, उसके साथ निर्देशक ने कोई छेड़छाड़ नहीं की है और फिल्म के तीसरे पार्ट को देखते वक्त यह नहीं लगता है, कि कोई अलग कहानी देख रहे हैं। इस बार फिल्म में कुछ नए चरित्रों को कहानी के साथ जोड़ा गया है, लेकिन बिना लॉजिक के सीन और कॉमेडी ने मजा किरकिरा कर दिया है।
भूल भुलैया फ्रेंचाइजी के तीसरे पार्ट में रूह बाबा उर्फ रुहान (कार्तिक आर्यन) भूतो को पकड़ने का ढोंग रचकर लोगों को बेवकूफ बना रहा है, लेकिन रूह बाबा ये नहीं जानता है, कि जल्द उसकी मुलाकात एक असली भूत से होने वाली है। इसके बाद फिल्म में ट्विस्ट आता है और मूवी में हॉरर, फ्लैशबैक स्टोरी, डर, जादू, कत्ल और बदला सब कुछ देखने को मिलता है।
फिल्म की स्टोरी पर नजर डाले, तो इस बार रूह बाबा एक नए मिशन पर निकलता हैं, जहां उसका सामना एक नहीं बल्कि दो चुड़ैलों से होता है। इस बात का अंदाजा दर्शकों को फिल्म के ट्रेलर से ही लग गया था, कि फिल्म में विद्या बालन (मोनजोलिका उर्फ मल्लिका) और माधुरी दीक्षित (अंजोलिका) ने थियेटर में डराने का जिम्मा उठाया है, लेकिन भूल भुलैया फ्रेंचाइजी का सबसे रोचक पार्ट होता है, उसका क्लाइमैक्स जो ऐसा ट्विस्ट लेकर आता है, जो सर चकरा देता है।
भूल भुलैया 3 फिल्म का क्लाइमैक्स ऐसा सरप्राइस लेकर आता है, कि जब दर्शक कहानी में पीछे जाकर कड़ियों को जोड़ना शुरू करते है, तो कई सवालो के जवाब नहीं मिलते है और क्लाइमैक्स से पहले की सारी कैलकुलेशन फेल हो जाती है। वहीं अगर फिल्म के स्क्रीनप्ले की बात करे, तो कई मौकों पर कहानी भटकती हुई दिखाई देती है। हालाँकि बाकी जगह फिल्म दर्शकों को कॉमेडी और हॉरर के जाल में फंसा कर रखने में कामयाब रहती है।
फिल्म में अभिनय की बात करें, तो कार्तिक आर्यन अपने रूह बाबा के किरदार में चिर-परिचित अंदाज में नजर आये है। उन्होंने भले ही फिल्म की शुरुआत में अपने आप को कॉमेडी मोड में रखा है, लेकिन क्लाइमेक्स में कार्तिक अपना बेस्ट देकर सबको चौंका देते है। वहीं 17 साल बाद मोनजोलिका के किरदार में लौटी विद्या बालन के अभिनय में अब भी वही जोश दिखता है, जो भूल भुलैया के पहले भाग में नजर आया था। हालाँकि बढ़ती उम्र उन पर थोड़ी हावी होती जरूर दिख रही है।
माधुरी दीक्षित ने अपने अभिनय से काफी हद तक फिल्म को संभालने की कोशिश की है। माधुरी दीक्षित एक ऐसी कलाकार है, जो किसी भी किरदार को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का हैसियत रखती है। वहीं अगर फिल्म के सबसे बेहतरीन हिस्से की बात करें, तो उसमें माधुरी दीक्षित और विद्या बालन का ‘मेरे ढोलना’ गीत पर किये डांस को गिना जा सकता है।
वहीं एनिमल के बाद एक और हिट फ्रेंचाइजी में जगह बनाने में कामयाब रही तृप्ति डिमरी ने फिल्म में ग्लैमर का तड़का लगाया है। उनके हिस्से में आये कुछ सीन को उन्होंने अच्छे से निभाया है, लेकिन ज्यादातर में वह शोपीस साबित हुई है। फिल्म के विज़ुअल इफेक्ट्स और साउंड डिजाइन बेहतरीन है। चुड़ैल दिखाने से लेकर लोकेशन आदि में भी इफेक्ट्स का अच्छा काम देखने को मिलता है।
फिल्म के अन्य कलाकारों संजय मिश्रा, राजपाल यादव आदि ने अपने किरदारों को ठीक-ठाक निभाया है, लेकिन कई मौकों पर उनकी हरकतों और संवाद पर हंसी नहीं आती है। फिल्म में स्क्रीनपत्ती के छोटे मियां उर्फ अरुण कुशवाहा भी हैं। जिनकी भूमिका हर मौके पर सिर्फ बेहोश होने तक ही सीमित है।
फिल्म के अंत में एक डायलॉग रखा गया है, कि मोनजोलिका का अंत उसे जलाकर नहीं उसे समझ कर किया जा सकता है। फिल्म का क्लाइमेक्स देखकर दर्शकों के होश उड़ने वाले हैं। कुल-मिलाकर जो मसाला एक हॉरर फिल्म में होना चाहिए। उसका ठीक-ठाक संगम इस फिल्म में देखने को मिलता है। अगर आप एक दो सीन को छोड़ दें, तो फिल्म को अपनी फैमिली के साथ इंजॉय कर सकते है।