बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक अहम निर्णय में यह स्पष्ट किया है, कि कोई शख्स किसी कुत्ते को कितना भी अपनी संतान की तरह पाले, लेकिन इससे वह इंसान नहीं बन सकता। इसलिए उनके लिए आईपीसी की धारा 279 और 337 के अंतर्गत किसी पर आरोप नहीं लगाया जा सकता है। ये दोनों धाराएँ मानवीय जीवन को खतरे में डालने पर लगाई जाती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज चवन की बेंच ने अपने निर्णय में स्विगी फूड डिलीवरी के राइडर पार्टनर के विरुद्ध दर्ज मामले को रद्द कर दिया। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा, कि पुलिस अधिकारियों ने आरोपित के विरुद्ध आईपीसी की धारा 279, 337 और 449 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर ‘तर्क की अवहेलना’ की है।
हाईकोर्ट ने इस प्रकार के अतार्किक व्यवहार के लिए पुलिस अधिकारियों को दंडित करते हुए 20,000 रुपए का जुर्माना भी ठोका है। इस जुर्माने की वसूली अधिकारियों के वेतन से की जाएगी। बात दें, फूड डिलीवरी के दौरान पार्टनर राइडर रोड पार कर रहे एक कुत्ते से टकरा गया था। इस हादसे में दोनों घायल हो गए थे, और बाद में कुत्ते की मौत हो गई थी।
इस हादसे के बाद एक महिला ने मानस गोडबोले नाम के डिलीवरी पार्टनर के विरुद्ध मामला दर्ज कराया था। घटना के समय मानस की उम्र 18 वर्ष थी और वह ‘डिप्लोमा इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन’ अंतिम वर्ष का छात्र था। दरअसल, साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान मानस गोडबोले 11 अप्रैल को खाने की डिलीवरी देने के लिए जा रहा था।
रात लगभग 8 बजे के एक महिला मरीन ड्राइव पर आवारा और बेसहारा कुत्तों को खाना खिला रही थी। इसी दौरान एक कुत्ता बाइक की चपेट में आ गया। उसे बचाने के लिए निर्धारित स्पीड में चल रहे राइडर ने तत्काल ब्रेक लगाए और वह बाइक की एक तरफ गिर गया। संयोगवश उसी तरफ वह कुत्ता भी गिर गया। इससे कुत्ते को चोट लग गई और वह कुछ समय बाद उसकी मौत हो गई।
मानवीय जीवन को खतरे में डालने वाली धाराओं के अलावा, मुंबई की मरीन ड्राइव पुलिस ने गोडबोले के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम की धाराएँ भी लगाई थी। इस मामले में आईपीसी की धाराओं के अंतर्गत पंजीकृत हुए केस को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा, कि जिस प्रकार से यह दुर्घटना हुई, उसमें आरोपित का इरादा जानबूझकर नुकसान पहुँचाने का नहीं था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, कि आरोपित स्पीड लिमिट में वाहन चला रहा था। वह फूड डिलीवरी करने के लिए जा रहा था, इसी दौरान मार्ग में कुत्ता आ गया। इससे यह हादसा हुआ और आरोपित स्वयं बाइक से नीचे गिर गया और उसे भी चोट लगी। आरोपित का कोई सुनियोजित आपराधिक इरादा नहीं था।
अदालत ने अपने निर्णय में कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है, कि पालतू कुत्ते या बिल्ली को उनके मालिकों द्वारा बच्चे या परिवार के सदस्य के रूप में पाला जाता है, लेकिन जीवविज्ञान का मूल सिद्धांत ये कहता, कि वे मनुष्य नहीं है। आईपीसी की धारा 279 और 337 मानव जीवन को खतरे में डालने या किसी इंसान को घायल करने से संबंधित है।