भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख वास्तविक नियंत्रण सीमा पर 15 जून को हुई हिंसक झड़प जिसमे भारतीय सेना के बीस जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। हालांकि इस खूनी झड़प में चीन को भी बहुत जानमाल का नुकसान उठाना पड़ा था परन्तु चीन ने कभी यह स्वीकार नहीं किया और लगातार सीमा पर उकसावे की हरकते करता रहा।
दरअसल चीन द्वारा भारतीय सीमा में घुसपैठ के इरादे से पूर्वी लद्दाख में भारी संख्या में सैनिक एवं गोला बारूद, टैंक की तैनाती के बाद भारत ने भी चीन की आक्रमकता के जबाब में बराबर की संख्या में भारतीय सेना के जवान तैनात कर दिए थे। वास्तविक नियंत्रण सीमा विवाद पर अब तक दोनों देशो के मध्य आठ राउंड की कमांडर लेवल की बातचीत हो चुकी है।
जानकारी के अनुसार शरद काल में पड़ने वाली भीषण सर्दी ने चीन के सैनिको के हौसले पस्त कर दिए है। बताया जा रहा है एक और जहाँ भारतीय सेना के वीर जवान कड़ाके की सर्दी में भी अपनी अपनी पोस्ट पर मजबूती के साथ खड़े है। वही चीन को अपने सैनिको को हर रोज बदलना पड़ रहा है। क्योकि वे सर्दी नहीं झेल पा रहे है और ना ही चीनी सैनिको के पास इतनी विषम परिस्थिति में रहने का अनुभव है।
भारत के जवान वास्तविक नियंत्रण सीमा पर अपनी पोस्ट पर एक लम्बे समय से डटे है जबकि चाइना अपने सैनिको को प्रतिदिन बदल रहा है।
भारतीय जवान इस प्रकार की परिस्थितियों में पहले भी कार्य कर चुके है। उन्हें सियाचिन का अनुभव प्राप्त है गौरतलब है कि दिसंबर माह
-30 से -40 डिग्री का तापमान एवं तक़रीबन बारह हजार की ऊंचाई पर सांस लेने में भी तकलीफ होती है।